पितृ दोष
पितृ दोष : पितरों के दिन आने वाले हैं

सामान्यत: व्यक्ति का जीवन सुख-दुखों से मिलकर बना है.

पूरे जीवन में एक बार को सुख व्यक्ति का साथ छोड़ भी दे लेकिन दु:ख किसी न किसी रुप में उसके साथ बना ही रहता है।

अब फिर वे चाहे संतानहीनता, नौकरी में असफलता, धन हानि, उन्नति न होना, पारिवारिक कलेश आदि के रुप में भी हो सकते हैं।

सूर्य -राहु से बनता है पित्र दोष और ग्रहण दोष ।

जब कुंडली में राहु और सूर्य की युति होती है तो पितृ दोष का निर्माण होता है.

पितृ दोष सभी तरह के दुखों को एक साथ देने की क्षमता रखता है.

इसलिए हिंदू धर्म में सबसे पहले देव पूजा या घर में कोई भी शुभ कार्य होता है तो सबसे पहले पितरों का नाम लिया जाता है पितरों की पूजा होती है उसके बाद में कोई भी शुभ कार्य होते हैं।

देव पूजन से पूर्व पितरों की पूजा करनी चाहिए क्योकि देव कार्यों से अधिक पितृ कार्यों को महत्व दिया गया है।

इसलिए देवों को प्रसन्न करने से पहले पितरों को तृप्त करना चाहिए.

पितर कार्यों के लिए सबसे उतम पितृ पक्ष अर्थात अश्विन मास का कृष्ण पक्ष समझा जाता है।

कैसे होता है कुंडली में पित्र दोष या पित्र ऋण।

कुंडली के नवम भाव को भाग्य भाव कहा गया है. इसके साथ ही यह भाव पित्र या पितृ या पिता का भाव तथा पूर्वजों का भाव होने के कारण भी विशेष रुप से महत्वपूर्ण हो जाता है.

कुंडली के अनुसार पूर्व जन्म के पापों के कारण पितृ दोष बनता है.

इसके अलावा इस योग के बनने के अनेक अन्य कारण भी हो सकते हैं.इसके साथ साथ ग्रहण योग भी बनता है।

ज्योतिष के अनुसार सूर्य और राहु एक साथ जिस भाव में भी बैठ​ते हैं, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं.

नवम भाव में और पंचम भाव में सूर्य और राहु की युति से पितृ दोष का निर्माण होता है.

नवम भाव पिता का भाव है और सूर्य को पिता का कारक माना जाता है. साथ ही उन्नति, आयु, धर्म का भी कारक माना जाता है.

इस कारण जब पिता के भाव पर राहु जैसे पापी ग्रह की छाया पड़ती है तो पितृ दोष लगता है

. पितृ दोष कुंडली में मौजूद ऐसा दोष है जो व्यक्ति को एक साथ तमाम दुख देने की क्षमता रखता है.

पितृ दोष लगने पर व्यक्ति के जीवन में समस्याओं का अंबार लगा रहता है.

ऐसे लोगों को कदम कदम पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है.

परिवार आर्थिक संकट से जूझता रहता है, व्यक्ति को उसकी मेहनत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है,

इस कारण तरक्की बाधित होती है. संतान सुख आसानी से प्राप्त नहीं होता. इस कारण जीवन लगातार उतार चढ़ावों से जूझता रहता है।

पितृ दोष की वजह समझने से पहले ये जानना जरूरी है

कि पितर होते कौन हैं।

दरअसल पितर हमारे पूर्वज होते हैं जो अब हमारे मध्य में नहीं हैं.

लेकिन मोहवश या असमय मृत्यु को प्राप्त होने के कारण आज भी मृत्युलोक में भटक रहे हैं.

इस भटकाव के कारण उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ती है और वो पितृ योनि से मुक्त होना चाहते हैं।

लेकिन जब वंशज पितरों की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक विधि विधान से श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं,

धर्म कार्यो में पितरों को याद न करते हैं, धर्मयुक्त आचरण नहीं करते हैं और किसी निरअपराध की हत्या करते हैं,

ऐसी स्थिति में पूर्वजों को महसूस होता है कि उनके वंशज उन्हें पूरी तरह से भुला चुके हैं.

इन हालातों में ही पितृ दोष उत्पन्न होता है और ये कुंडली के नवम भाव में राहु और सूर्य की युति के साथ प्र​दर्शित होता है।

पितृदोष हमेशा तीसरी पीढ़ी पर लगता है जब हमारे पूर्वज पितरों की शांति नहीं करते तो यह हमारी संतान पर तीसरी पीढ़ी पर आकर लग जाता है और आगे फिर संतान वृद्धि में परेशानियां होने लगती है।

जिन लोगों की कुंडली में पित्र दोष है वह लोग पित्र दोष के उपाय कर सकते हैं

पितरों को खुश करना सबसे आसान काम है क्योंकि यह आपको प्रत्यक्ष देखने को मिलता है।

पित्र खुश तो सब देव खुश

क्योंकि हम पितरों की ही संतान है उन्हीं के डीएनए से हम हैं और वह हमें ज्यादा दिन परेशान नहीं करते बस थोड़ा सा उनकी तिथि पर उनको याद किया जाए

जैसे हम खुद के लिए सारी चीजें करते हैं वैसे ही पितरों के लिए किया जाए जीवन बहुत सुख मई हो जाता है और पित्र हमें हमेशा आशीर्वाद देते हैं ।

अगर आपके घर में किसी की कुंडली में भी पितृ दोष बना हुआ है तो उसका निवारण जरूर करवाएं

Rakhi
रक्षाबंधन 2024 राखी बांधने का सही समय क्या रहेगा, इस साल भद्रा कब तक रहेगी?
Rakhi

Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर इस साल भद्रा लग रही है. सावन पूर्णिमा पर सुबह के समय राखी नहीं बांध पाएंगे. आइए जानें रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल समय क्या है.

Raksha Bandhan 2024: भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन हर साल अगस्त महीने में आता है. राखी के दिन बहनें भाई के घर आती हैं और भाई को रक्षासूत्र बांधकर उसके उज्जवल भविष्य की कामना करती है. दूसरी तरफ राखी (Rakhi) बांधने के बाद भाई अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता है.

इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. भाई-बहन का रिश्ता अटूट रहे इसके लिए शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधना चाहिए, भद्राकाल (Rakhi bhadra kaal) में भूलकर भी राखी न बांधें. इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया मंडरा रहा है. जान लें राखी किस मुहूर्त में बांधे, भद्रा कब तक रहेगी.

रक्षाबंधन की तिथि (Raksha bandhan 2024 Tithi)

पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त दिन सोमवार को प्रात: 03:04 से शुरू हो रही है. इस तिथि की समाप्ति 19 अगस्त को ही रात 11:55 पर हो रही है. सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima) पर रक्षाबंधन मनाया जाता है.

सुबह नहीं बांध पाएंगी राखी (Raksha Bandhan Shubh muhurat)

इस साल रक्षाबंधन पर 19 अगस्त को राखी बांधने के शुभ मुहूर्त दोपहर 2:07 से रात्रि 08:20 तक रहेगा. वहीं प्रदोष काल में शाम 06.57 से रात 09.10 तक राखी बांधना शुभ रहेगा. 

जो लोग रक्षाबंधन का त्योहार सुबह के समय मनाते हैं इस बार वह सुबह से दोपहर 01.32 तक राखी नहीं बांध पाएंगे, इस दौरान भद्रा रहेगी.

रक्षाबंधन पर भद्रा कब से कब तक ? (Raksha Bandhan Bhadra kaal time)

रक्षाबंधन पर भद्रा के प्रारंभ का समय सुबह में 5 बजकर 53 मिनट पर है, उसके बाद वह दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इस भद्रा का वास पाताल लोक में है. रक्षाबंधन में राखी बांधने से पहले भद्रा काल पर जरुर विचार किया जाता है, क्योंकि ये अशुभ मानी गई है.

भद्रा में राखी बांधना अशुभ

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए.धार्मिक मान्यता है कि भद्रा काल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है. पौराणिक कथा के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी साल प्रभु राम के हाथों रावण का वध हुआ था. इस कारण से भद्रा काल में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है.

रक्षासूत्र का महत्व

नकारात्मकता और दुर्भाग्य से रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधा जाता है. रक्षासूत्र पहनने वाले व्यक्ति के विचार सकारात्मक होते हैं और मन शांत रहता है. हालांकि अब रक्षासूत्र ने राखी का स्वरूप ले लिया है लेकिन इसका उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाए रखना होता है.

भद्रा क्या है और ज्योतिष में उसका महत्व है

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एक हिन्दु तिथि में दो करण होते हैं. जब विष्टि नामक करण आता है तब उसे ही भद्रा कहते हैं. माह के एक पक्ष में भद्रा की चार बार पुनरावृति होती है. जैसे शुक्ल पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा होती है और चतुर्थी व एकादशी तिथि के उत्तरार्ध में भद्रा होती है.

कृष्ण पक्ष में तृतीया व दशमी तिथि का उत्तरार्ध और सप्तमी व चतुर्दशी तिथि के पूर्वार्ध में भद्रा व्याप्त रहती है.

भद्रा में वर्जित कार्य | Restrictions during Bhadra

मुहुर्त्त  चिंतामणि और अन्य ग्रंथों के अनुसार भद्रा में कई कार्यों को निषेध माना गया है. जैसे मुण्डन संस्कार, गृहारंभ, विवाह संस्कार, गृह – प्रवेश, रक्षाबंधन, शुभ यात्रा, नया व्यवसाय आरंभ करना और सभी प्रकार के मंगल कार्य भद्रा में वर्जित माने गये हैं.

मुहुर्त्त मार्त्तण्ड के अनुसार भद्रा में किए गये शुभ काम अशुभ होते हैं. कश्यप ऋषि ने भद्रा का अति अनिष्टकारी प्रभाव बताया है. उनके अनुसार अपना जीवन जीने वाले व्यक्ति को कोई भी मंगल काम भद्राकाल में नहीं करना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति अनजाने में ही मंगल कार्य करता है तब उसके मंगल कार्य के सब फल खतम हो सकते हैं.

भद्रा में किए जाने वाले कार्य | Activities that can be carried out during Bhadra

भद्रा में कई कार्य ऎसे भी है जिन्हें किया जा सकता है. जैसे अग्नि कार्य, युद्ध करना, किसी को कैद करना, विषादि का प्रयोग, विवाद संबंधी काम, क्रूर कर्म, शस्त्रों का उपयोग, आप्रेशन करना, शत्रु का उच्चाटन, पशु संबंधी कार्य, मुकदमा आरंभ करना या मुकदमे संबंधी कार्य, शत्रु का दमन करना आदि कार्य भद्रा में किए जा सकते हैं.

भद्रा का वास | Bhadra’s residence

मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है. चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है. कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है.

भद्रा जिस लोक में रहती है वही प्रभावी रहती है. इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नही. जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी.

भद्रा संबंधी परिहार | Avoidance of Bhadra

  • यदि दिन की भद्रा रात में और रात की भद्रा दिन में आ जाए तब भद्रा का परिहार माना जाता है. भद्रा का दोष पृथ्वी पर नहीं होता है. ऎसी भद्रा को शुभ फल देने वाली माना जाता है.
  • एक अन्य मतानुसार जब उत्तरार्ध की भद्रा दिन में तथा पूर्वार्ध की भद्रा रात में हो तब इसे शुभ माना जाता है. भद्रा दोषरहित होती है.
  • यदि कभी भद्रा में शुभ काम को टाला नही जा सकता है तब भूलोक की भद्रा तथा भद्रा मुख-काल को त्यागकर स्वर्ग व पाताल की भद्रा पुच्छकाल में मंगलकार्य किए जा सकते हैं.

भद्रा पुच्छ और भद्रा मुख जानने की विधि | Procedure to know about Bhadra Pucch and Bhadra Mukh

भद्रा मुख | Bhadra Mukh

मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की पांचवें प्रहर की पांच घड़ियों में भद्रा मुख होता है, अष्टमी तिथि के दूसरे प्रहर के कुल मान आदि की पांच घटियाँ, एकादशी के सातवें प्रहर की प्रथम 5 घड़ियाँ तथा पूर्णिमा के चौथे प्रहर के आदि की पाँच घड़ियों में भद्रा मुख होता है.

ठीक इसी तरह कृष्ण पक्ष की तृतीया के आठवें प्रहर आदि की 5 घड़ियाँ भद्रा मुख होती है, कृष्ण पक्ष की सप्तमी के तीसरे प्रहर में आदि की 5 घड़ी में भद्रा मुख होता है. इसी प्रकार कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि का छठा प्रहर और चतुर्दशी तिथि का प्रथम प्रहर की पांच घड़ी में भद्रा मुख व्याप्त होता है.

भद्रा पुच्छ | Bhadra Pucch

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के अष्टम प्रहर की अन्त की 3 घड़ी दशमांश तुल्य, भद्रा पुच्छ कहलाती है. पूर्णिमा की तीसरे प्रहर की अंतिम तीन घटी में भी भद्रा पुच्छ होती है.

पाठकों के लिए एक बात ध्यान देने योग्य यह है कि भद्रा के कुल मान को 4 से भाग देने पर प्रहर आ जाता है, 6 से भाग देने पर षष्ठांश आता है और दस से भाग देने पर दशमांश प्राप्त हो जाता है.

सुशील मोदी ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अग्रदूत पोर्टल लांच, नागरिकों तक आसानी से पहुंचेगी योजनाओं की जानकारी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार पारदर्शिता के साथ नागरिकों तक पहुंच बनाने एवं लाभार्थियों को योजनाओं संबंधी जानकारी भेजने के लिए संचार क्रांति का भरपूर उपयोग कर रही है। बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रालय में जनसंपर्क विभाग के अग्रदूत पोर्टल को लांच किया। लांचिग के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहला मैसेज लाडली बहनों को भेजा। यह मैसेज सावन में रक्षाबंधन के शगुन स्वरूप एक अगस्त को लाडली बहनों के खातें में 250 रुपए अंतिरत करने संबंधी है।

मप्र शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार अग्रदूत पोर्टल सूचना ही शक्ति है के मंत्र को सार्थक करने वाला है। किसी भी राज्य के जनसंपर्क विभाग द्वारा नागरिकों की सुविधा एवं त्वरित सूचनाओं के लिए इस तरह की अभिनव पहल पहली बार की गई है। अग्रदूत पोर्टल द्वारा सिंगल क्लिक के माध्यम से प्रदेश के टार्गेट ऑडियंस तक सूचनाएं पहुंचाई जा सकेंगी।

  1. इस पोर्टल के जरिए कम समय में भी लक्षित नागरिकों तक पहुंच बनाई जा सकेगी।
  2. पोर्टल के माध्यम से त्रिस्तरीय रिव्यू के बाद संदेश वाट्सएप पर शेयर किया जाएगा।
  3. इसके जरिए प्रदेश के नागरिकों को जरूरतानुसार फिल्टर भी किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को मंत्रालय स्थित अपने कार्यालय से जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार किए अग्रदूत पोर्टल को लॉन्‍च किया। इस अवसर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पहला मैसेज लाड़ली बहनों को भेजा। यह संदेश सावन माह में रक्षाबंधन के शगुन स्वरूप 01 अगस्त को लाड़ली बहनों के खातों में 250 रुपये की धनराशि अंतरित करने के संबंध में था।

मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार किया गया अग्रदूत पोर्टल सूचना ही शक्ति है की पहल पर काम करेगा। यह लक्षित समूह तक सिंगल क्लिक में सूचनाएं प्रसारित करने के लिए जनसंपर्क विभाग की अभिनव पहल है। अग्रदूत पोर्टल द्वारा सिंगल क्लिक के माध्यम से प्रदेश के टार्गेट ऑडियंस तक सूचनाएं पहुंचाई जा सकेंगी। पोर्टल के माध्यम से त्रिस्तरीय रिव्यू के बाद संदेश लोकप्रिय मोबाइल मैसेजिंग एप – व्हाट्सअप पर शेयर किया जाएगा एवं इसके माध्यम से एक साथ मल्टीमीडिया मैसेज ( ग्राफिक्स, टैक्स्ट, लिंक, वीडियो) भी शेयर किए जा सकेंगे। इसके माध्यम से नागरिकों तक आसानी से सूचनाएं पहुंचाई जा सकेंगी।
 

ये है खासियतें

अग्रदूत पोर्टल सूचना क्रांति के क्षेत्र में अभिनव पहल है। इसके माध्यम से कम समय में भी लक्षित नागरिकों तक पहुंच बनाई जा सकेगी। कम समय में ही सूचना प्रसार, व्यापक संचार, समग्र डेटाबेस का उपयोग, वाट्सएप के माध्यम से सूचना का प्रसार, सिंगल क्लिक आधारित, यूजर फ्रेंडली, त्रिस्तरीय अनुमोदन प्रक्रिया संपन्न होगी, जिससे मध्यप्रदेश में नागरिकों को पारदर्शिता के साथ सुशासन भी उपलब्ध होगा।
 

श्रेणी अनुसार कर सकेंगे विभाजित

अग्रदूत पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के नागरिकों को आवश्यकतानुसार फिल्टर किया जा सकता है। उन्हें श्रेणी अनुसार विभाजित कर मैसेज या सूचनाएं भेजी जा सकेंगी। मसलन, इस पोर्टल में उम्र, लिंग, जाति, धर्म, व्यवसाय, दिव्यांगता, जिला/ स्थानीय निकाय/ क्षेत्र के अनुरूप चयनित कर जानकारी भेज सकेंगे।
Ladla Bhai Yojana: इस राज्य के युवा बनेंगे ‘लाडले’, हर महीने मिलेंगे 10 हजार रुपए

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार महिला मतदाताओं को लुभाने के बाद अब युवाओं के लिए एक लोकलुभावन स्कीम लाई है। इस स्कीम का नाम है लाडला भाई योजना। इस नई योजना की घोषणा का उद्देश्य युवा पुरुषों का समर्थन करना है। इसके तहत जो युवा 12वीं हैं लेकिन बेरोजगार हैं उन्हें 6000 रुपये प्रति माह डिप्लोमा धारकों को 8000 रुपये और ग्रेजुएट धारक युवाओं को 10000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

Ladla Bhai Yojana
  1. लाडली बहना के बाद अब महाराष्ट्र में आई लाडला भाई योजना
  2. 12वीं पास लड़कों को हर महीने मिलेंगे 6 हजार रुपए
  3. जानें- किन युवाओं के खाते में आएगी रकम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) से पहले ही मौजूदा सरकार ने सत्ता में वापसी के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहना के बाद अब ‘लाडला भाई योजना’ लाने का एलान किया है।

इस योजना के तहत 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को हर महीने 6 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा इस योजना के तहत डिप्लोमा कर रहे छात्रों को हर महीने आठ हजार और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने वाले स्टूडेंट्स को हर महीने 10 हजार रुपये देने का फैसला किया है।

‘लाडला भाई स्कीम’ का किसे मिलेगा लाभ?

इस योजना के तहत 12वीं पास करने वाले युवाओं को 6 हजार रुपये प्रति माह दिया जाएगा। तो, डिप्लोमा करने वाले युवाओं को 8 हजार रुपये दिए जाएंगे। वहीं, ग्रेजुएट युवाओं को 10 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे।

योगता राशि
12वीं पास6 हजार रुपये
डिप्लोमा8 हजार रुपये
ग्रेजुएट10 हजार रुपये
डॉ भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना
    • योजना का उद्देश्य : योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग के हितग्राहियों को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

 

    • योजना का क्रियान्वयन:  डॉ भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना के क्रियान्वयन के लिए एवं वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण जिलेवार प्रबंध संचालक, म0प्र0 राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम मर्यादित, भोपाल द्वारा किया जावेगा।

 

    • पात्रता:
      • योजना का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश होगा (अर्थात योजना का लाभ उन्हीं उद्यमों को देय होगा, जो मध्यप्रदेश सीमा के अन्दर स्थापित हों)।
      • आवेदक मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
      • आवेदक अनुसूचित जाति वर्ग का सदस्य हो। (सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र सलंग्न करना होगा)।
      • आवेदन दिनांक को आयु 18 से 55 वर्ष के मध्य हो।
      • किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था/सहकारी बैंक का चूककर्ता /अशोधी Defaulter नहीं होना चाहिए।
      • यदि कोई व्यक्ति किसी शासकीय उद्यमी/स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत सहायता प्राप्त कर रहा हो, तो इस योजना के अन्तर्गत पात्र नहीं होगा।
      • सिर्फ एक बार ही इस योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए पात्र होगा।
      • योजना उद्योग/सेवा व्यवसाय क्षेत्र के लिए होगी।

 

  • वित्तीय सहायता:
    • सभी प्रकार के स्वरोजगार हेतु रु 10 हज़ार से रु 1 लाख तक की परियोजनाए
    • ब्याज अनुदान – योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित / शेष (Outstanding) ऋण (Term Loan & Working Capital Loan ) पर 7% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अनुदान अधिकतम 5 वर्षो तक (मोरेटोरियम अवधि सहित ), नियमित रूप से ऋण भुगतान (निर्धारित समय एवं राशि ) की शर्त पर निगम द्वारा दिया जायेगा
भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना

भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना (नवीन योजना )

    • योजना का नाम:  भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना (नवीन योजना)

 

    • योजना का उद्देश्य : योजना का उद्देश्य अनुसूचित जन जाति वर्ग के हितग्राहियों को नवीन उद्यमों की स्थापना हेतु कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।

 

    • शैक्षणिक योग्यता : न्यूनतम 8 वी कक्षा उत्त्रीण ।

 

    • योजना का क्रियान्वयन:  भगवान बिरसा मुण्डा योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेन्सी, प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम भोपाल होगा सहायक आयुक्त /जिला संयोजक /शाखा प्रबंधक मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम एवं महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के माध्यम से योजना का संचालन कराया जावेगा

 

    • पात्रता:
      • योजना का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश होगा (अर्थात योजना का लाभ उन्हीं उद्यमों को देय होगा, जो मध्यप्रदेश सीमा के अन्दर स्थापित हों)।
      • आवेदक मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
      • आवेदक अनुसूचित जन जाति वर्ग का सदस्य हो। (सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र सलंग्न करना होगा)।
      • आवेदन दिनांक को आयु 18 से 45 वर्ष के मध्य हो।
      • किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था/सहकारी बैंक का चूककर्ता /अशोधी Defaulter नहीं होना चाहिए।
      • यदि कोई व्यक्ति किसी शासकीय उद्यमी/स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत सहायता प्राप्त कर रहा हो, तो इस योजना के अन्तर्गत पात्र नहीं होगा।
      • सिर्फ एक बार ही इस योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए पात्र होगा।
      • योजना उद्योग/सेवा व्यवसाय क्षेत्र के लिए होगी।

 

  • वित्तीय सहायता:
    • उद्योग विनिर्माण ईकाई के लिए राशि रु 1 लाख से रु 50 लाख तक की परियोजनाए
    • सेवा (सर्विस ) ईकाई एवं खुदरा व्यवसाय (रिटेल ट्रेड ) हेतु रु 1 लाख से रु 25 लाख तक की परियोजनाए
    • ब्याज अनुदान – योजनान्तर्गत अनुसूचित जन जाति वर्ग के हितग्राहियों को बैंक द्वारा वितरित / शेष (Outstanding) ऋण (Term Loan & Working Capital Loan ) पर प्रतिवर्ष 5% अथवा वास्तविक, (जो भी कम हो ) की दर से ब्याज अनुदान अधिकतम 7 वर्षो तक (मोरेटोरियम अवधि सहित ), नियमित रूप से ऋण भुगतान (निर्धारित समय एवं राशि ) की शर्त पर निगम द्वारा दिया जायेगा
iibf book
IIBF BC/BF परीक्षा

इस परीक्षा के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं को गाँवों और छोटे शहरों में प्राप्त कराने की पहल को मजबूती से आगे बढ़ाया जा सकता है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले उम्मीदवार ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक प्रमुख कदम उठाया जा सकता है

आईआईबीएफ (IIBF) बैंकिंग संस्थान की योजना (BC/BF) परीक्षा को एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है जो बैंकिंग सेवाओं को गाँवों और छोटे शहरों तक पहुँचाने का एक प्रमुख माध्यम है। यह परीक्षा उन व्यक्तियों के लिए है जो बैंकिंग सेवाओं को गाँवों और छोटे शहरों में प्रदान करते हैं, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की विभिन्न सेवाओं का प्रावधान करने की क्षमता की जरूरत होती है।

आईआईबीएफ बैंकिंग संस्थान की योजना (BC/BF) परीक्षा उन व्यक्तियों के लिए है जो बैंकिंग सेवाओं को गाँवों और छोटे शहरों में प्रदान करते हैं, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की विभिन्न सेवाओं का प्रावधान करने की क्षमता की जरूरत होती है। यह परीक्षा इन व्यक्तियों की योग्यता और उनके बैंकिंग ज्ञान को मापने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

यह परीक्षा आईआईबीएफ द्वारा आयोजित की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को प्रोत्साहित करना है। यह एक Online आधारित परीक्षा है जिसमें कृषि ऋण, वित्तीय समझ, बैंकिंग संचालन, और बैंकिंग संस्थान के नियम-कानूनों को समझने की क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।

इस परीक्षा को सफलतापूर्वक पास करने वाले उम्मीदवार ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करने के लिए प्रमाणित किए जाते हैं और वे बैंकिंग संस्थानों में काम कर सकते हैं। यह परीक्षा उन व्यक्तियों को सक्षम बनाती है जो गाँवों और छोटे शहरों में बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करके लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना चाहते हैं।

इस परीक्षा के लिए तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को बैंकिंग, वित्त, और बाजार के बारे में समग्र ज्ञान होना चाहिए। वे परीक्षा की तैयारी के लिए आईआईबीएफ द्वारा प्रदान की गई सामग्री, पुस्तकें, और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।

आखिरकार, आईआईबीएफ (IIBF) बैंकिंग संस्थान की योजना (BC/BF) परीक्षा एक महत्वपूर्ण कदम है जो बैंकिंग सेवाओं को गाँवों और छोटे शहरों में पहुँचाने में मदद करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

L0 Biometric / Aadhaar Authentication Device soon close

हाल के समय में, उंगली प्रिंट प्रौद्योगिकी का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन उत्पादन की तकनीकी समस्याओं के कारण, L0 पंजीकृत उंगली प्रिंट उपकरणों का बंद होने जा रहा है। इस लेख में, हम इस मुद्दे पर गहराई से विचार करेंगे।

L0 पंजीकृत उंगली प्रिंट उपकरणों को बंद किया जा रहा है क्योंकि उनमें संचालन की कई तकनीकी समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान करना और उन्हें अद्यतन करना अधिक कठिन है, और नए और उन्नत उपकरणों का विकास हो रहा है, जो स्वचालित और अधिक सुरक्षित हो सकते हैं।

इस बंदीकरण का प्रभाव वे सभी उपयोगकर्ताओं पर पड़ेगा जो इन L0 पंजीकृत उंगली प्रिंट उपकरणों का उपयोग करते हैं। वे अब नए और अधिक सुरक्षित प्रौद्योगिकी की तलाश करेंगे जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर सके।

लगातार प्रौद्योगिकी की अद्यतन के साथ, हमें स्वीकार करना होगा कि पुराने प्रौद्योगिकी को समय-समय पर बदलना और अद्यतन करना आवश्यक है। L0 पंजीकृत उंगली प्रिंट उपकरणों की बंदीकरण एक ऐसा कदम है जो नई और उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करता है और उपयोगकर्ताओं को अधिक सुरक्षित और प्रभावी उपकरणों की ओर मोड़ता है।

L1 फिंगरप्रिंट डिवाइस: एक नई उम्मीद तकनीक का परिचय

आधुनिक तकनीकी विकास के साथ, डेटा सुरक्षा और निजता के मामले में नए सुरक्षा प्रणालियों की तलाश हमेशा जारी रहती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां विशेष रूप से निजता का महत्व है, ऐसे मामलों में फिंगरप्रिंट प्रमाणित करने की तकनीक अद्वितीय है। आज, हम L1फिंगरप्रिंट डिवाइस के बारे में चर्चा करेंगे, जो नए सुरक्षा स्तर का प्रतीक है।

L1 फिंगरप्रिंट डिवाइस एक प्रौद्योगिकी है जो उच्च स्तरीय तकनीक का उपयोग करते हुए निजी और संगठित स्थानों में प्रवेश को सुरक्षित बनाती है। यह डिवाइस उपयोगकर्ताओं की पहचान के लिए उनके उंगलियों की फिंगरप्रिंट का उपयोग करती है। एक उपयोगकर्ता अपनी उंगली को डिवाइस पर स्कैन करता है, और उसकी फिंगरप्रिंट इसे पहचानने के लिए उपयोग की जाती है। यह उपकरण उत्कृष्ट डेटा सुरक्षा प्रदान करता है और अनधिकृत प्रवेश को रोकता है।

L1फिंगरप्रिंट डिवाइस का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि सरकारी निकाय, बैंक, और कार्यालय। इसका उपयोग स्थानीय निजी और संगठित स्थानों में भी हो सकता है, जहां सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

L1 फिंगरप्रिंट डिवाइस के कई लाभ हैं। पहले, यह अद्वितीय सुरक्षा प्रणाली प्रदान करता है, जो अधिक सुरक्षित प्रवेश की गारंटी देता है। दूसरे, इसे उपयोग करना अत्यंत सरल है, और फिंगरप्रिंट स्कैनिंग तकनीक तेज़ और प्रभावी होती है। तीसरे, इसे अन्य प्रवेश पद्धतियों के समानार्थक रूप में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यह उपकरण अधिक सुरक्षित होता है।

इसके अतिरिक्त, एल1 फिंगरप्रिंट डिवाइस के उपयोग से पेपरलेस प्रवेश प्रणाली का भी विकास होगा, जो पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को कम करेगा। यह न केवल अधिक तेज़ और प्रभावी होगा, बल्कि यह पेपर की बर्बादी को भी कम करेगा।