मंगल नेक-मंगल सूर्य का मित्र है। जब इसे सूर्य का साथ मिले तो मंगल नेक बन जाता है। स्वभाव से मंगल लड़ाकू है तथा यह खून करने और कराने का कारक है। मंगल में बदला लेने की भावना अधिक है। यदि उसे कोई नुकसान पहुँचाए तो वह उसी के बारे में सोचता रहता है। दूसरी तरफ हमेशा सच्चाई का साथ देता है और सोच-समझकर बात करता है।
यह लड़ाकू स्वभाव का है फिर भी किसी से नाइंसाफी नहीं करता।
मंगल नेक हमेशा बहुत हौसला रखता है। यह भाई का कारक भी है। जन्म कुंडली देखकर भाइयों के बारे में पता चलता है। मंगल का रंग लाल है परन्तु ऐसा लाल जिसमें चमक नहीं। इसलिए बिना चमक वाला मूँगा इसका पत्थर है। मंगल नेक हो तो बिना चमकं वाला पत्थर पहनना इसका उपाय है।
हमारे शरीर के अंगों में यह जिगर का कारक है। जिगर की सभी बीमारियाँ मंगल बद के कारण होती हैं।
पोशाक में इसका कारक बास्केट या जैकेट है जो हमें सर्दी में गर्मी तथा सुख देती है। साथ में हमारी सुन्दरता बढ़ाती है।
वृक्षों में नीम मंगल नेक का कारक है जो बहुत सारी बीमारियों से मनुष्य की रक्षा करता है तथा कीटाणुओं को नष्ट करता है। यह मंगलमय भी माना जाता है क्योंकि भारतीय संस्कृति में बच्चे के पैदा होने पर नीम के पत्तों की वंदनवार घर के मुख्य द्वार पर बाँधी जाती है।
मंगल बद उसे कहते हैं जब उसके साथ केतु-शनि बुध या राहु बैठा हो। केतु के साथ मंगल शेर तथा कुत्ता कहा जाता है यानी शेर और केतु के समान. फल देता है। कुंडली में यदि सूर्य शनि एक साथ हों तो मंगल बद या अशुभ हो जाता है। इसी तरह मंगल के साथ बुध होने से भी मंगल का फल अच्छा नहीं रहता। राहु तथा मंगल का फल भी बद है क्योंकि राहु मंगल से दबा रहता है। परन्तु यदि राहु की दृष्टि मंगल पर पड़े तो मंगल का फल खराब हो जाता है जिसके कारण पेट या खून की खराबियों से जिस्म के दाएँ हिस्से पर सख्त तकलीफ हो सकती है।
मंगल अगर पहले घर में बैठा हो तो यह किस्मत को जगा देता है और यदि इसके साथ सूर्य और चन्द्र के उपाय के साथ इसका फल और भी अच्छा हो जाता है। लेकिन पापी ग्रह जैसे राहु केतु या अशुभ शनि से मंगल का फल बहुत अशुभ हो जाता है। पहले घर के मंगल को मैदाने
जंग का शूरवीर कहा है और इंसाफ की तलवार भी कहकर पुकारा है। बुध-बुध व्यापारी है। अपने ग्राहकों को सामान बेचते समय -जी-कुजूरी तथा नर्मी से बात करता है इसकी जुबान में मिठास है। यह बर्तन बनाने वाले ठठियार के समान है तथा जरूरत के समय जैसा चाहे बर्तन बना देता है तथा बातों में लगाकर सभी को प्रसन्न कर सकता है।
यह जुबान का मालिक है और जुबान से काम लेता है और किसी को भी जुबान के चक्र में डालकर अपना काम निकलवा लेता है। यह नसीहत देने में बहुत माहिर है। हर चीज के बारे में अपनी राय रखता है। कभी-कभी इसकी नसीहत पुरुष को गलत रास्ते पर भी ले जाती है। यह बहुत जल्दी सबको मित्र बनाता है।
बुध जिसका अच्छे स्थान पर है वह जातक जुबान का मीठा, दिमाग से तेज होगा।
पोशाक में यह पेट के नीचे के वस्त्रों का कारक है। जैसे तडागी पेटी और नाड़ा।
पशुओं की जाति में यह बकरा-बकरी, भेड़ तथा चमगादड़ के समान है। फलों में यह केले का वृक्ष है, जिसके पत्ते चौड़े हों।
शनि-शनि एक अक्खड़ तरखान की तरह है। यह मेहनती मजदूर भी है तथा कठिन से कठिन कार्य भी कर सकता है। यह एक हथियार की तरह लोहे के सख्त से सख्त कार्य भी कर सकता है। परन्तु इसे अपने काम में हस्तक्षेप पसन्द नहीं है।
यह हर कार्य पूर्णतया होशियारी और चालाकी से करता है। कोई ग्रह इससे मेल नहीं खाता। इसको नमस्कार भी करना हो तो पीठ पीछे हाथ बाँधकर जाता है। इसकी दृष्टि बहुत ही पैनी है जो किसी को पता भी नहीं चलता है और यह सब देखता रहता है। यहाँ तक कि इसमें जादू-मंत्र देखने-दिखाने की शक्ति भी है।
पोशाक में यह हमारे जुराब और जूते हैं जिसके बगैर मनुष्य चलने की सोच भी नहीं सकता ।
पशुओं में यह भैंस या भैंसे का कारक है। अगर घर में कोई बाधा हो तो भैंसे को घर के अन्दर लाकर सारे घर में चक्कर लगवाना चाहिए। इस तरह जिन्न-भूत डरकर घर से भागते हैं।
शनि मौत का भी कारक है। पेड़ों में यह कीकर, आक, खजूर का पेड़ है जो यात्री को छाया नहीं देता। दूसरे शब्दों में यह फिजूल में किसी का मददगार नहीं होता।
राहु-राहु जाति से भंगी और शूद्र है। राहु का सम्बन्ध गन्दगी से है। परन्तु गन्दगी के साथ-साथ यह सफाई भी करता है। भंगी या शूद्र का मतलब यह नहीं कि यह इतना सीधा-सादा है कि इसकी बुद्धि भी शूद्र के समान होगी। अगर ध्यान से सोचें तो राहु बहुत चालाक ग्रह है पर यह काम शूद्रों जैसा करता है और यह मक्कारी के साथ मनुष्य को उल्टे चक्र में डाल देता है। इसके बारे में अन्दाजा लगाना बहुत कठिन है कि यह आगे कौन-सी चाल चलेगा। यह एक गुप्त खोजी की तरह काम करता है और यह बिजली की तरह तेजी से कार्य कर जाता है और मनुष्य में डर तथा शत्रुता जल्दी से पैदा कर देता है।
शक्ति को यह अचानक ही परेशान कर देता है जिससे मनुष्य की बुद्धि अचानक काम कर देना बन्द कर देती है। परन्तु इसके साथ ही यह रास्ता भी दिखाने वाला है।
धातुओं में नीलम सिक्का तथा गोमेद का कारक है। जब कभी राहु गलत स्थान पर बैठ जाए तो नीलम धारण करना शुभ रहेगा। परन्तु उसके साथ ही राहु के बद होने पर इसका उपाय सिक्का बहाना है और गोमेद भी इसी की कारक धातु है।
शरीर के अंगों में यह सारे शरीर के बिना सिर्फ सिर का यानि दिमाग का कारक है। कई बार राहु के साथ यदि चन्द्रमा की युति हो जाए तो मनुष्य का दिमाग पागल भी हो जाता है। यह शरीर के अंगों में ठोड़ी का हिस्सा भी है जो मुख की सुन्दरता बनाती है।
पोशाक में यह हमारा पाजामा या पतलून है जो मनुष्य की शर्म को ढकता है। नंगा व्यक्ति तो किसी के सामने आने पर पागल ही कहलाएगा। पशुओं में यह हाथी के समान ताकतवर है जो भारी से भारी कठिन कार्य करता है तथा कठिन राहों पर चलकर बोझा उठाता है। साथ में यह काँटेदार जंगली चूहा है।
पेड़ों में यह नारियल का पेड़ तथा घास काटने वाला कुत्ता। केतु-केतु अपनी मनमर्जी के कार्य करता है इसके लिए संसार के
बन्धनों की कोई शर्त नहीं। यह राहु की तरह चालाक नहीं। यह पेशे से कुली के सामान भारी कार्य करता है तथा भार उठाने वाला मजदूर है। इसकी सुनने की शक्ति बहुत तेज है जो पाँव की आहट से ही किसी के आने-जाने की आवाज भाँप लेता है।
केतु में किसी प्रकार की शर्म नहीं कि कोई अनजान व्यक्ति है या जानकार। यह सभी से बातचीत करने में नियम है। यह दो रंगा पत्थर है जिसे हम वैदूरय कहते हैं।
शरीर के अंगों में यह सिर के बगैर शरीर है जिसमें दिमाग की कमी • है। परन्तु यह कान, रीढ़ की हड्डी, घुटने पेशाब करने की जगह तथा शरीर के जोड़ हैं। जब यह अशुभ है तो शरीर के इन्हीं अंगों में तकलीफ – पैदा करता है, जैसे रीढ़ की हड्डी में दर्द होना, जोड़ों का दर्द, पेशाब की बीमारी आदि ।
पोशाक में यह पटका-कंबल और ओढ़नी है।
पशुओं में यह कुत्ता, गधा, सुअर, नर या मादा दोनों, छिपकली, पौधों में इमली का पेड़, तिल के पौधे तथा केला फल।