kala dhaga
गले में क्यों पहनते हैं काला धागा? जानें क्या है ज्योतिष में इसका महत्व
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गले में क्यों पहनते हैं काला धागा? जानें क्या है ज्योतिष में इसका महत्व
काला रंग शनि ग्रह का रंग माना जाता है.
काला रंग शनि ग्रह का रंग माना जाता है.
यूं तो काला धागा पहनना आजकल फैशन में आ गया है. जिसे देखो वह पैर, गले या हाथ में काला धागा पहनते दिख जाता है. इसके पीछे के कारण जाने बिना ही काला धागा धारण करना नुकसानदायक हो सकता है. जानें गले में काला धागा पहनने का क्या महत्व है?

जो व्यक्ति काला धागा धारण करते हैं, वे बुरी शक्तियों के प्रभाव से बच जाते हैं.
काला धागा धारण करना सभी के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है.

Kala Dhaga Ka Mahatva : अक्सर आपने बहुत से लोगों को पैर और गले में काला धागा पहने हुए देखा होगा, जिसको लेकर कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं. एक मान्यता यह भी है कि काला धागा पहनने से बुरी नजर नहीं लगती. इससे पहले एक आर्टिकल में हमने जाना था- पैर में काला धागा पहनने के फायदे और उसके नियम. आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे गले में काला धागा पहनने का महत्व. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं


कम होता है शनि का दुष्प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह का संबंध काले रंग की वस्तुओं से होता है. काला रंग शनि ग्रह का रंग माना जाता है. मनुष्य के जीवन में आ रही समस्याओं का संबंध भी शनि ग्रह से ही जोड़ा जाता है. हर व्यक्ति शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए काले रंग से जुड़े कई ज्योतिष उपाय करता है. शनि की बुरी नजर से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में काले रंग का धागा गले में धारण करने की सलाह दी जाती है. इससे आपके जीवन में आ रही समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति गले में काला धागा धारण करते हैं, उन पर शनि देव अपनी कुदृष्टि नहीं रखते. काला धागा शनि देव को आकर्षित करता है जो मनुष्य के लिए लाभदायक होता है. ऐसे व्यक्ति के लिए शनि परेशानी का कारण ना बनते हुए उनकी सफलता में सहयोगी बन जाते हैं.

नजर और नकारात्मकता से रक्षा करता है काला धागा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति काला धागा धारण करते हैं, वे बुरी शक्ति के प्रभाव से बच जाते हैं. इसके अलावा नकारात्मक ऊर्जा को काला धागा अवशोषित करके शरीर पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ने देता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गले में काला धागा धारण करना सभी के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है परंतु बच्चों को काला धागा पहनाने से पहले उसकी लंबाई का ध्यान रखें, ताकि वह किसी चीज में फंस कर बच्चे को नुकसान ना पहुंचा पाए.

केसर के तिलक का महत्व व लाभ
केसर के तिलक का महत्व व लाभ

केसर के तिलक का महत्व व लाभ

हिंदू संस्कृति में तिलक का बहुत महत्व माना जाता है। कोई धार्मिक कार्य या पूजा-पाठ में सबसे पहले सबको तिलक लगाया जाता है। यही नही जब हम कभी किसी धार्मिक स्थल पर जाते हैं तब भी सर्वप्रथम हमें तिलक लगाया जाता है। दरअसर हिंदू संस्कृति व शास्त्रों में तिलक को मंगल व शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति शुभ काम के लिए जाता है तो उसके मस्तक पर तिलक लगाकर उसे विदा किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं तिलक आपकी कई मनोरामनाएं भी पूरी करता है।
शास्त्रों में तिलक के संबंध में विस्तार से बताया गया है। अलग-अलग पदार्थों के तिलक करने से अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति होती है। चंदन, अष्टगंध, कुमकुम, केसर आदि अनेक पदार्थ हैं जिनके तिलक करने से कार्य सिद्ध किए जा सकते हैं। यहां तक कि ग्रहों के दुष्प्रभाव भी विशेष प्रकार के तिलक से दूर किए जा सकते हैं।

तिलक का मुख्य स्थान मस्तक पर दोनों भौ के बीच में होता है, क्योंकि इस स्थान पर सात चक्रों में से एक आज्ञा चक्र होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन तिलक लगाने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति को ज्ञान, समय से परे देखने की शक्ति, आकर्षण प्रभाव और उर्जा प्रदान करता है। इस स्थान पर अलग-अलग पदार्थों के तिलक लगाने का अलग-अलग महत्व है। इनमें सबसे अधिक चमत्कारी और तेज प्रभाव दिखाने वाला पदार्थ केसर है। केसर का तिलक करने से कई कामनाओं की पूर्ति की जा सकती है।

दांपत्य में कलह खत्म करने के लिए
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जिन लोगों का दांपत्य जीवन कलहपूर्ण हो उन्हें केसर मिश्रित दूध से शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही अपने मस्तक, गले और नाभि पर केसर कर तिलक करें। यदि लगातार तीन महीने तक यह प्रयोग किया जाए तो दांपत्य जीवन प्रेम से भर जाता है।

मांगलिक दोष दूर करने के लिए
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जिस किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मांगलीक दोष होता है ऐसे व्यक्ति को दोष दूर करने के लिए हनुमानजी को लाल चंदन और केसर मिश्रित तिलक लगाना चाहिए। इससे काफी फायदा मिलता है।

सफलता और आरोग्य प्राप्त करने के लिए
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जो व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, आकर्षक व्यक्तित्व, सौंदर्य, धन, संपदा, आयु, आरोग्य प्राप्त करना चाहता है उसे प्रतिदिन अपने माथे पर केसर का तिलक करना चाहिए। केसर का तिलक शिव, विष्णु, गणेश और लक्ष्मी को प्रसन्न करता है। शिव से साहस, शांति, लंबी आयु और आरोग्यता मिलती है। गणेश से ज्ञान, लक्ष्मी से धन, वैभव, आकर्षण और विष्णु से
भौतिक पदार्थों की प्राप्ति होती है।

आकर्षक प्रभाव पाने के लिए
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केसर में जबर्दस्त आकर्षण प्रभाव होता है। प्रतिदिन केसर का तिलक लगाने से व्यक्ति में आकर्षण प्रभाव पैदा होता है और प्रत्येक व्यक्ति को सम्मोहित करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।

केसर के तिलक होने वाले अन्य लाभ
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1 जिन स्त्रियों को शुक्र से संबंधित समस्या है, जैसे पति से अनबन, परिवार में लड़ाई झगड़े, मान-सम्मान की कमी हो वे किसी महिला या कन्या को मेकअप किट के साथ केसर दान करें।

2घर में आर्थिक तंगी बनी रहती है। पैसे की बचत नहीं होती है तो नवरात्रि या किसी भी शुभ दिन सात सफेद कौडि़यों को केसर से रंगकर उन्हें लाल कपड़े में बांधें और श्रीसूक्त के सात बार पाठ करें। अब इस पोटली को अपनी तिजोरी में रखें। जल्द ही धनागम होने लगेगा।

3अपने व्यापार या कामकाज से जुड़े दस्तावेज जैसे बही-खातों, तिजोरी आदि जगह केसर की स्याही का छिड़काव करने से व्यापार खूब फलता है।

4 मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए एक सफेद कपड़े को केसर की स्याही से रंगें। अब इस कपड़े को अपनी तिजोरी या दुकान आदि के गल्ले में बिछाएं और पैसा इसी कपड़े पर रखें। यह स्थान पवित्र बना रहे इसका खास ध्यान रखें। ऐसा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है और पैसे की आवक अच्छी होती है।

5 चतुर्दशी और अमावस्या के दिन घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा यानी नैऋत्य कोण में केसर की धूप देने के पितृ प्रसन्न होते हैं। इससे पितृदोष शांत होता है और व्यक्ति के जीवन में तरक्की होने लगती है।

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आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं ! Home Wall
आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं

आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं !

कभी आपने किसी घर में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की है ?

या किसी के घर में जाते ही एकदम से सुकून औऱ सकारात्मकता महसूस की है ?

मैं कुछ ऐसे घरों में जाता हूँ जहां जाते ही तुरंत वापस आने का मन होने लगता है। एक अलग तरह का खोखलापन और नेगेटिविटी उन घरों में महसूस होती है। साफ समझ पाती हूँ कि उन घरों में रोज-रोज की कलह और लड़ाई- झगड़े और चुगली , निंदा आदि की जाती है। परिवार में सामंजस्य और प्रेम की कमी है। वहाँ कुछ पलों में ही मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगती है और मैं जल्दी ही वहाँ से वापस आ जाता हूँ।

वहीं कुछ घर इतने खिलखिलाते और प्रफुल्लित महसूस होते हैं कि वहाँ घंटों बैठकर भी मुझे वक़्त का पता नहीं चलता ।

ध्यान रखिये….

” आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं। घर की दीवारें युगों तक समेट कर रखती हैं सारी सकारात्मकता और नकारात्मकता भी “

” कोपभवन” का नाम अक्सर हमारी पुरानी कथा-कहानियों में सुनाई देता है । दरअसल कोपभवन पौराणिक कथाओं में बताया गया घर का वो हिस्सा होता था जहां बैठकर लड़ाई-झगड़े और कलह-विवाद आदि सुलझाए जाते थे। उस वक़्त भी हमारे पुरखे सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अलग-अलग रखने का प्रयास करते थे इसलिए ” कोपभवन ” जैसी व्यवस्था की जाती थी ताकि सारे घर को नकारात्मक होने से बचाया जाए ।
इसलिए आप भी कोशिश कीजिए कि आपका घर “कलह-गृह” या “कोपभवन” बनने से बचा रहे।

घर पर सुंदर तस्वीरें , फूल-पौधे, बागीचे , सुंदर कलात्मक वस्तुएँ आदि आपके घर का श्रृंगार बेशक़ होती हैं पर आपका घर सांस लेता है आपकी हंसी-ठिठोली से , मस्ती-मज़े से, खिलखिलाहट से और बच्चों की शरारतों से , बुजुर्गों की संतुष्टि से ,घर की स्त्रियों के सम्मान से और पुरुषों के सामर्थ्य से , तो इन्हें भी सहेजकर-सजाकर अपने घर की दीवारों को स्वस्थ रखिये।

” आपका घर सब सुनता है और सब कहता भी है “

इसलिए यदि आप अपने घर को सदा दीवाली सा रोशन बनाये रखना चाहते हैं तो ग्रह कलह और , निंदा , विवादों आदि को टालिये।

“यदि आपके घर का वातावरण स्वस्थ्य और प्रफुल्लित होगा तो उसमें रहने वाले लोग भी स्वस्थ और प्रफुल्लित रहेंगे।