Category ज्योतिष शास्त्र

वर्ष 2024 में कैसा रहेगा भारत का भविष्य

भारत पर भविष्यवाणी 2024: भारत के लिए वर्ष 2024 बहुत महत्वपूर्ण और उथल-पुथल भरा रहने वाला है। हिंदू माह 2080 चल रहा है और 9 अप्रैल 2024 से विक्रम संवत 2081 प्रारंभ हो जाएगा। वर्तमान संवत्सर 2080 के राजा बुध, गृह मंत्री शुक्र, वित्त मंत्री सूर्य, रक्षा मंत्री बृहस्पति हैं। यह पिंगला शोभकृत नाम का संवत्सर चल रहा है। इसके बाद 2081 संवत्सर का नाम क्रोधी रहेगा। पंचांग भेद से इसका नाम कालयुक्त है, इसका राजा मंगल है और मंत्री होगा शनि।

मौसम :- वर्ष 2024 में भारत में अल्पवृष्टि के योग हैं। कहीं वर्षा अच्छी होगी तो कहीं सूखा निर्मित हो सकता है। गर्मी सामान्य रहेगी लेकिन बारिश और ठंड बढ़ सकती है। असामान्य जलवायु के चलते सेहत पर इसका भारी असर होगा।

प्राकृतिक प्रकोप :- भारत में वर्ष 2024 में राहु, मंगल, शनि और सूर्य के कारण प्राकृतिक प्रकोप बढ़ सकते हैं। तूफान, चक्रवात, भूकंप और बाढ़ से लोगों को बचना होगा। इस बार भूकंप और चक्रवात के कारण जान माल के नुकसान की ज्यादा आशंका व्यक्त की जा रही है।

रोग :- भारत में नया रोग या कोई नई महामारी के आने के योग भी बन रहे हैं। केतु के कारण वायरल संक्रमण होने की संभावना है जिसके चलते लोगों में बेचैनी रहेगी। मानसिक तनाव बढ़ सकता है। लोगों को अभी से ही अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करना होगा।

राजनीतिक उथल पुथल :- वर्ष 2024 में मंगल, शनि और राहु के प्रभाव के चलते भारत में राजनीतिक उथल-पुथल पिछले वर्ष की अपेक्षा ज्यादा रहेगी। राजनीतिक पार्टियों में शत्रुता की भावना बढ़ जाएगी। झूठे आरोप और प्रत्यारोप के चलते नफरत बढ़ेगी। किसी बड़े राजनेता को पद त्यागना पड़ सकता है या किसी बड़े राजनेता का निधन भी हो सकता है। भारत के किसी 2 नेताओं पर हमला होने की संभावना है, कई नेताओं को कानूनी सजा भी मिल सकती है, क्योंकि अगले वर्ष का मंत्री शनि है। भाजना की अपेक्षा कांग्रेस का प्रभाव तेजी से बढ़ेगा, जिसके चलते देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा होगी।

भारत की सीमा :- वर्ष के मध्य में भारत की पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर तनाव चरम पर होगा। भारत पर कोई बड़ा हमला होने की संभावना है। अप्रैल, मई, जून, जुलाई और अगस्त का माह भारत के लिए कठिन रहेगा। पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी भारत में ज्यादा अशांति रहने वाली है। यानी भारत में आंतरिक संघर्ष बढ़ने की संभावना है।

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वस्तु दाम :- आने वाले वर्ष 2024 में महंगाई बढ़ेगी क्योंकि अतिवर्षा, तूफान आदि प्राकृतिक आपदा के चलते देश के अधिकतर क्षेत्रों की फसल नष्ट होने के आसार है। 2024 में उत्पादन में कमी के चलते कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। पेट्रोल के दाम में भी बढ़ोतरी होगी।.

अर्थ व्यवस्था :- देश की अर्थ व्यवस्था में सुधार होगा, रियल स्टेट में तेजी रहेगी। सोने के भाव बढ़ते जाएंगे।

सुशील मोदी ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड विजेता
गुरु- राहु चांडाल योग समाप्त 30 अक्टूबर 2023

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक अवधि के बाद नवग्रह राशि परिवर्तन करते हैं। ऐसे में कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। ऐसे ही मेष राशि में राहु और गुरु की युति से गुरु चांडाल योग का निर्माण हुआ था। 22 अप्रैल से मेष राशि में गुरु चांडाल योग चल रहा है जो 30 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो जाएगा।

22 अप्रैल 2023 में बनने वाले गुरु चांडाल योग की वजह से काफी लोगों के जीवन में बड़ी समस्या पैदा हो रही थी। विशेषकर जिन लोगों के लिए गुरु योग कारक ग्रह था, उनके जीवन में कुछ ज्यादा ही समस्या उत्पन्न हो रही थी जैसे- शादी विवाह परेशानी, शिक्षा में बाधा, संतान प्राप्ति में समस्या, स्वास्थ्य व मान- सम्मान की कमी इत्यादि।

गुरु व शुक्र ग्रह विशेषकर शादी- विवाह के मुख्य जिम्मेदार कारक ग्रह है। इन दोनों ग्रहों की कृपा के बिना शादी विवाह संपन्न नहीं हो सकते। और गुरु-राहु चांडाल योग की वजह से काफी लोगों के विवाह में विलंब हो रहा था या फिर दांपत्य जीवन में बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही थी। लेकिन अब 30 अक्टूबर 2023 को गुरु चांडाल योग समाप्त हो रहा है जिसे काफी राशियों को बड़ा लाभ प्राप्त होने वाला है, उनके रिश्ते विवाह में आ रही बाधा अब समाप्त होने की पूरी संभावना है। गुरु चांडाल योग समाप्त होने पर छोटे-छोटे उपाय से ही बड़े लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।

1 – मेष लग्न वाले जातक के लिए राहु 12 th भाव और केतु 6 th भाव से गोचर करेंगे आपके खर्च यात्रा और भोग बड़ सकते है जो लोग जॉब ट्रांसफर या घर बदलने का सोच रहे है या एब्रॉड सेटलमेंट के लिए प्रयास कर रहे है उनके लिए अनुकूल समय जिन लोगो का धनेश और दशमेश व्यवस्थित है उनके लिए लाभ का समय लेकिन सतर्क रहे स्वास्थ और हॉस्पिटल पर खर्च हो सकता ननिहाल पक्ष को थोड़ी तकलीफ संभव ।

2 – वृषभ लग्न वाले जातकों की इच्छाएं और मनोरंजन के अवसर बड़ जायेंगे जोड़ तोड़ और मेहनत से धन अर्जित करेंगे व्यापार & जॉब के लिए अनुकूल समय है किंतु लव अफेयर और विवाहित जीवन में कुछ संघर्ष दिखेगा ।

3 – मिथुन लग्न के जातकों के दशम से राहु और चतुर्थ से केतु का गोचर रहेगा आप घर परिवार से उखड़े उखड़े रह सकते लेकिन कार्यछेत्र में नई ऊर्जा नई तरंगों के साथ बोलेंगे राहु जिसके दस में दुनिया उसके बस में अर्थात प्रोफेशनल फ्रंट पर नए नए आइडियाज और ऊर्जा के साथ सफलता की ओर अग्रसर होने का प्रयास करेंगे ।

4 – कर्क लग्न के जातकों के लिए राहु का गोचर नवम और केतु तृतीय भाव से निकलेंगे आपके छोटे भाई बहन या पड़ोसी को कुछ तकलीफ संभव ।
आप की यात्रा बड़ जाएंगी आप भ्रमित रह सकते आपको चिंताएं सता सकती आपकी शिक्षा और प्रोफेशन पर नकरात्मक प्रभाव भी रह सकता ।
अपका भाग्य कम साथ देगा आप दबाव में रहेंगे।

5 – सिंह लग्न के जातकों के लिए राहु केतु का गोचर कठनाइयों से भरा हो सकता है आपको धन की कमी धन का अटकना धन संबंधित झगड़े घर पर अशांति और अचानक घटनाए घटित होने के योग बन रहे है
अगर आप रिसर्च वर्क एस्ट्रोलॉजी पॉजिटिव तंत्र आदि क्रियायो में लिप्त है तो ये गोचर आपके लिए रहस्य की परते खोलने में सक्षम होगा किन्तु आप जुआ सट्टा और दुष्कर्म में लिप्त है तो आप संभाल जाए , कोई भी असामाजिक गतिविधि या गलत कार्य आपको फसा सकता है

6 – कन्या लग्न वालो के लिए राहु केतु संघर्ष की पटकथा लिख रहे है आपके वैवाहिक जीवन और व्यवसाय पर संघर्ष रहेगा आपकी भागम भाग लगी रहेगी आपको कागजी कार्रवाई में समय बर्बाद करना होगा , आपके जीवन में जो प्रेम आयेगा ज्यादा टिकेगा नही आप खुद से या खुद के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं रहेंगे ।

7 – तुला लग्न वालो के लिए राहु का गोचर छटे भाव से शानदार होने वाला है जिन लोगो की कुंडली में शनि और राहु व्यवस्थित बैठे है उनकी लाइफ में खुशहाली समृद्धि के योग बन रहे है विधार्थियो के लिए कंपीटीशन के लिए अच्छा समय जॉब वालो को शानदार सफलता कोर्ट केस में भी आप सफल हो सकते है जो स्त्रियां संतान चाहती है उनके लिए अनुकूल समय दूसरी तरफ केतु भी मोक्ष भाव से आपको स्प्रिचुअल लाइफ में आगे बढ़ाएगा ।

8 – वृश्चिक लग्न वालो के लिए राहु पंचम भाव से गोचर करेंगे और केतु एकादश भाव से निकलेंगे ।
अपको बुद्धि हवा में उड़ सकती है आपकी बुद्धि पर सट्टा जुआ या शेयर मार्केट से धन कमाने का नशा चढ़ सकता है आपकी बुद्धि पर लव अफेयर हावी रह सकते है आपको धन प्राप्ति या लाभ में विलम्ब हो सकता आपको घर परिवार की जिम्मेदारियां निभानी पड़ेंगी आपको विशेष रूप से स्वास्थ का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है ।

9 – धनु लग्न वालो के लिए राहु केतु का गोचर उतार चढ़ाव वाला रह सकता है अपका मन कार्य छेत्र में कम लगेगा , आपकी ऊर्जा माता और घर प्रॉपर्टी पर लगेगी आपको चिंताएं सताएंगी ।

10 – मकर लग्न वालो के लिए राहु केतु का गोचर आपके पराकर्म और बुद्धि को बड़ा देगा आप साम दाम दण्ड भेद का प्रयोग करने लगेंगे , आप धार्मिक यात्रा करेंगे , आपके पिता को कुछ चिंताएं लगी रह सकती है टेक्निकल और मार्केटिंग वर्क के लिए ये गोचर शानदार रहेगा ।

11 – कुंभ लग्न वाले जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलेगा जो लोग वाणी या टेलीमार्केटिंग या रिसर्च वर्क से जुड़े है उनको लाभ मिलेगा ओवरऑल ये गोचर आपको मेहनत और खुद पर नियंत्रण से लाभ देगा ।

12 – मीन लग्न वालो के लिए राहु लग्न और केतु सप्तम भाव से गोचर करेंगे ये समय आपके लिए नई नई चुनौतियां पेश करेगा जितना ईश्वर और कुल देवी की शरण में रहेंगे उतना बचे रहेंगे , आपकी इच्छाएं असक्तिया और खर्च बड़ जायेंगे अगर आप विवाहित है तो लाइफ पार्टनर से उदासीनता रह सकती और मतिभ्रम हो सकता है

बारिश के पानी के कई सारे फायदे

बारिश का पानी चमका देगा किस्मत, जानिए बारिश के पानी के चमत्कारी उपाय

बारिश के पानी के कई सारे फायदे होते हैं। वास्तु के अनुसार भी बारिश के पानी लाभ है। जी हां, बारिश के पानी की मदद से आप जीवन में बढ़ रहे कर्ज को कम कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे करें-


1. कहते हैं कि यदि कर्ज नहीं उतर पा रहा है तो बारिश का पानी एक बाल्टी में एकत्रित कर लें और उसमें दूध डालकर भगवान स्मरण करके पूरे माह में इसी तरह स्नान कर लें। धीरे-धीरे आपका कर्ज उतरने लगेगा।

2. यह भी कहा जाता है कि यदि कारोबार में घाटा हो रहा हो तो पीतल के बर्तन में वर्षा जल एकत्रित करके माता लक्ष्मी और विष्णुजी का एकादशी के दिन इस जल से अभिषेक करें। इससे व्यापारिक घाटा नहीं होगा और अच्छी इनकम होने लगेगी

3. मान्यता अनुसार यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो मिट्टी के घड़े को बारिश के पानी से भरकर उसे घर की ईशान या उत्तर दिशा में रख दें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।

4. यह भी कहा जाता है कि एक कटोरी में बारिश का पानी भरकर छत पर रखकर जब उस पानी को अच्छे से धूप लग जाए तो उस पानी को अपने ईष्टदेव का नाम लेकर आम के पत्तों पर छिड़क दें। इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन की कमी दूर कर देती हैं।

5. यदि किसी को विवाह में परेशानी आ रही है तो वह बारिश का पानी एकत्रित करके भगवान गणेशजी का जलाभिषेक करें।

6. यदि किसी भी प्रकार का रोग है या कोई संकट है तो तो बारिश का पानी एकत्रित करके महामृत्युंजय मंत्र के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

7. यदि आपको लगता है कि घर में कोई नकारात्मक शक्ति है जिसके कारण कर्ज आदि जैसी परेशानी हो रही है तो किसी बर्तन में बारिश का पानी एकत्रित करके उसे हनुमानजी के सामने रख दें और पूरे महीने प्रतिदिन 51 हनुमान चालीसा का पाठ करें। फिर उस पानी से घर के सभी हिस्सों में छिड़काव कर दें। इससे नकारात्मक शक्तियां हट जाएंगी।

हरिद्वार
हरिद्वार (हरद्वार) की महिमा

हरद्वार जिसे हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है। इसकी महिमा अनन्त है, जिसे शास्त्रो अथवा पुराणों में बहुत गाया और बताया गया है लेकिन ये महिमा क्यों है? इसके कारण क्या हैं?

हरिद्वार

1. हरद्वार को सर्वप्रथम हर का द्वार कहा जाता है क्योंकि हरद्वार अर्थात हर (देवो के देव महादेवजी) के कैलाश से जुड़ी पर्वत श्रृंखलाओं के पर्वत हरद्वार से शुरू होते है जो हर (देवाधिदेव महादेव) के द्वार कैलाश तक जाते है और हरद्वार महादेवजी का अत्यंत प्रिय स्थान भी है इसी कारण से भी इसे हर का द्वार कहा जाता है द्वार हर तक जाने का!

2. हरिद्वार वह स्थान है जो संसार मे दूसरे स्थान पर बसा था अर्थात पृथ्वी पर सर्वप्रथम काशी मुक्तिक्षेत्र अर्थात आनंदवन की रचना हुई थी जिसे भगवान सदाशिव ने अपने शिवलोक में त्रिशूल से रचकर धरती पर स्थापित किया जो मुक्ति देने वाली काशी के नाम से त्रिलोक विख्यात है। उसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने पुत्र दक्ष प्रजापति को राज्य करने के लिए धरती पर जो स्थान प्रदान किया वो हरिद्वार ही था यहीं पर राजा दक्ष ने अपनी नगरी बसाई थी और यहीं पर वो राज्य करते थे। यहीं दक्षपुरी के नाम से पुराणों में वर्णित स्थान है। ये संसार में बसा दूसरा नगर था। पहला काशी दूसरा हरिद्वार इसलिए भी इसकी महिमा है ।

3. हरिद्वार में कुम्भ से छलका अमृत गिरा था जिसे स्वर्भानु नामक दैत्य लेकर भाग रहा था जो बाद में विष्णु भगवान के द्वारा सर विच्छेद के कारण राहु केतु के रूप में जाना गया और नवग्रहों में स्थापित हुआ। अमृत छलककर गिरने के कारण भी हरिद्वार की महिमा बढ़ी और ये कुंभनगरी बना जहां 12 वर्ष बाद कुम्भ होने लगा।

4. पुराणों और शोध में मिले तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि धरती पर सर्वप्रथम भगवान विष्णु के चरण जिस स्थान पर पड़े वो हरिद्वार ही था। बाद में हरिद्वार के मायापुरी क्षेत्र में ही भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। इन्हीं दोनों कारणों से ये स्थान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय हुआ और इसे भगवान हरि ने अपने नाम से सम्बोधित करके हरिद्वार बनाया तबसे इसके दो नाम पड़े हर का द्वार हरद्वार और हरि का भी द्वार हरिद्वार। संसार का पहला क्षेत्र जो हर और हरि दोनों को अतिप्रिय है और दोनों के नाम से जाना जाता है।

5. राजा दक्ष ने परमेश्वरी माता आदिशक्ति की तपस्या करके उनसे पुत्री रूप में अपने घर जन्म लेने का वर मांगा था तो माँ उसके घर पैदा हुई। राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप मे आदिशक्ति स्वरूपा भगवती माता सती का जन्म इसी हरिद्वार में हुआ था। यहीं उनका बालपन और युवाअवस्था गुजरी। यहीं पर उन्होंने तप करके महादेवजी को पति रूप में प्राप्त किया तब भगवान महादेवजी ब्रह्मा, विष्णुजी, इंद्र, सूर्य, चन्द्र आदि देवों व लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री आदि देवियों और ऋषि मुनियों तथा अपने गणों सहित बारात लेकर यहां पर आए थे और माता सती से विवाह किया था। इस कारण से भी हरिद्वार की महानता बढ़ती है।

6. राजा दक्ष ने विश्व विख्यात जो यज्ञ किया था वो भी हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में ही किया था जहां राजा दक्ष का महल था।

7. गंगोत्री जहां से गंगाजी का उद्गम है उसका रास्ता भी हरिद्वार से होकर ही जाता है। गंगाजी हरिद्वार से होकर ही अन्य स्थानों पर जाती है इसीलिये इसकी महिमा माँ गंगा की कृपा से और भी बढ़ गयी है।

8. चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ तक जाने से पूर्व हरिद्वार में पूजन करना अनिवार्य है जो देव आज्ञा है शास्त्रों अथवा पुराणों में क्योंकि चारधाम तक जाने का मार्ग भी हरिद्वार से होकर ही जाता है।

9. महादेवजी की पुत्री माता मनसा जो वासुकि नागों के राजा की बहन थी उनका निवास स्थान भी हरिद्वार में ही है जो माँ मनसा देवी के नाम से विख्यात है जहां हजारोन भक्तगण प्रतिदिन माँ के दर्शन करने दूर-दूर से आते है। मन की कामना पूरी करने के कारण माँ को मनसा देवी कहा जाता है।

10. रामायणकाल में अहिरावण और महिरावण श्रीराम को जब पाताल में देवी के सामने बलि देने के लिए ले गए थे तो महादेवजी के अवतार हनुमानजी ने देवी से श्रीराम की बलि टालने का आग्रह किया था तब देवी ने हनुमानजी से कहा था – मैं इस पातालपुरी को त्यागकर शिवपुरी अर्थात हरिद्वार की पर्वत श्रृंखला पर जा रही हूं। तुम इन दोनों असुरों की बलि मुझे दो जिससे मुझे प्रसन्नता होगी और पाताल में धर्म स्थापना होगी तब जो देवी पाताल से उठकर हरिद्वार के पर्वतों पर विराजी वो माँ चंडीदेवी के नाम से विश्व विख्यात है। रामायणकाल में रावण को जीतने के बाद और अयोध्या आने के बाद श्रीराम ने सीताजी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी महाराज सहित यहां आकर माता के दर्शन किये थे और माँ चंडीदेवी का आशीर्वाद लिया था।

11. माता सती ने जब दक्ष यज्ञ में अपने देह को यज्ञकुंड में जला दिया था तब महादेवजी जब उनका देह लेकर बहुत समय तक जब पृथ्वी भ्रमण करते रहे और उन्होंने संसार को भुला दिया तब विष्णुजी ने अपने कांता नामक चक्र से सती माता के शरीर को 52 भागो में विच्छेद किया था जिन में से माता सती का हृदय हरिद्वार में गिरा था और मायादेवी के नाम से विख्यात हुआ। ये मायादेवी हरिद्वार के निवासियों की कुल देवी बनी और हरिद्वार की महिमा और बढ़ गई।

12. ऋषि मुनियों अवतारों तथा देवी देवताओं की अतिप्रिय स्थली होने के कारण ही इसे देवभूमि हरिद्वार भी कहते हैं।

13. जिस पहाड़ की चोटी पर बैठकर महादेवजी ने दक्ष यज्ञ विध्वंस हेतु वीरभद्र, देवी महाकाली, भैरव, क्षेत्रपाल, नंदी, नवदुर्गा आदि सेना की कमांड की थी उन्हें नेत्तृत्व किया था वो पहाड़ की चोटी भी हरिद्वार में ही है जो नीलपर्वत के नाम से जानी जाती है।

14. हरिद्वार संसार का एक मात्र स्थान है जो भगवान महादेव, आदिशक्ति माता, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी इन चारों को अतिप्रिय है इसीलिए यहां पर पूरे वर्ष हर हरि और माँ के भक्तों का आवागमन लगा रहता है। श्रद्धालु दूर-दूर से इस दिव्य स्थान पर दर्शन हेतु आते हैं।

15. भीम ने अपने गौडे तक जल भरकर जिस स्थान पर तप किया था वो भीमगोडा कहलाया जो हरिद्वार में ही है।

और भी बहुत कुछ महिमा है हरिद्वार की जो यहां कह पाना असंभव है लेकिन हरिद्वार की महिमा अनन्त है जो सतयुग से महाभारत काल तक की अनेक कथाएं और चमत्कार से भरी हुई है।

देवशयनी एकादशी
कब है देवशयनी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि..

इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है

देवशयनी एकादशी

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। वैसे तो हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं लेकिन योगिनी एकादशी के बाद श्रद्धालुओं को देवशयनी एकादशी का इंतजार रहता है। देवशयनी एकादशी बड़ी एकादशी मानी गई है। इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है। इस दिन के बाद से जगत के पालनहार विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं, देवों का शयनकाल शुरु हो जाता है। जो चार माह बाद यानि कि कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर खत्म होता है। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है।

इस साल अधिकमास होने के कारण विष्णु जी 5 महीने तक शयनकाल में रहेंगे। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मा एकादशी भी कहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि देवशयनी एकादशी का व्रत करने से नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती और जीवन रोग, दोष मुक्त रहता है। देवशयनी एकादशी व्रत में कथा का श्रवण जरूर करें, इसके बिना व्रत व्यर्थ माना जाता है।
आषाढ़ मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून की सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 30 जून को 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से एकादशी का व्रत 29 जून को रखा जाएगा। व्रत का पारण 30 जून को किया जाएगा। वैसे तो व्रत का पारण 30 जून को स्‍नान, दान के बाद कभी भी किया जा सकता है, लेकिन पारण का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 48 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 36 मिनट तक है।

पूजा विधि
देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। इस दिन पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें। घर और मंदिर की साफ-सफाई करें। चौकी पर एक पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करके विधि-विधान से पूजा करें। भगवान को फल, फूल और धूप आदि अर्पित करें। पूजन के दौरान भगवान के मंत्रों का जाप करें, देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें। भगवान को पंचामृत का भोग लगाएं। एकादशी व्रत के सभी नियमों का पालन करें और अगले दिन स्‍नान और दान के बाद व्रत का पारण करें।

देवशयनी एकादशी शयन मंत्र
29 जून को देवशयनी एकादशी पर भगवान को शयन करवाते समय श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का उच्चारण करें ।
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।’
‘हे जगन्नाथ जी! आपके सो जाने पर यह सारा जगत सुप्त हो जाता है और आपके जाग जाने पर सम्पूर्ण विश्व तथा चराचर भी जागृत हो जाते हैं। प्रार्थना करने के बाद भगवान को श्वेत वस्त्रों की शय्या पर शयन करा देना चाहिए।

शुभ भविष्य के संकेत
घर से निकलते ही दिखाई दें ये पशु या पक्षी तो अशुभ होता है, शुभ भविष्य के संकेत

पशु और पक्षी के शुभ अशुभ संकेत क्या हैं? : शकुन अपशकुन शास्त्र, समुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में पशु या पक्षियों के दर्शन करने को शुभ और अशुभ श्रेणी में विभाजित किया गया है। कहते हैं कि घर से निकलते ही इनके दर्शन हो जाए तो यह शुभ या अशुभ होते हैं। इनसे भी संकटों के संकेत मिलते हैं। आओ जानते हैं कि किस पशु या पक्षी को देखना शुभ है या अशुभ। और पक्षियों और जानवरों का व्यवहार बदलने से क्या होता है?

शुभ भविष्य के संकेत

शुभ

1. चिड़िया के दर्शन शुभ है।

2. तोते का दर्शन शुभ माना गया है।

3. बकरी-बकरा शुभ माना गया है।

4. मुर्गा शुभ माना गया है।

5. हाथी दर्शन अति शुभ माना गया है।

6. सूअर भी शुभ माना गया है।

7. घोड़ा भी शुभ माना गया है। भूतादि घोड़े से दूर रहते हैं।

8. मधुमखी को अति शुभ माना गया है।

9. मोर का दर्शन शुभ है।

10. गाय या बैल का दर्शन शुभ है।

11. सफेद उल्लू का दर्शन शुभ।

12. नीलकंड का दिखाई देना शुभ।

13. धनेश का दिखाई देगा शुभ।

अशुभ

1. कबूतर को अशुभ माना गया है।

2. बिल्ली को अशुभ माना गया है।

3. सांप के दर्शन दुखदाई है।

4. चमगादड़ को देखना दुख, धोका, जादूटोना आदि।

5. चील अशुभ है। चील जिस पेड़ पर आती है वो पेड़ सूख जाता है।

6. चूहा यदि बिना कारण के मकान को छोड़ दे तो मकान गिर जाता है।

7. भैंस या भैंसा का दर्शन अशुभ।

8. गिद्ध का दर्शन अशुभ।

9. बिच्छू का दिखाई देना अशुभ।

10. लाल चिटिंयों का दिखाई देना भी अशुभ।

akshat
भूल कर भी इन 5 चीजों को न गिरने दें हाथ से, होगा बड़ा नुकसान

क्या आप जानते हैं कि चावल, दूध, नमक और शकर और नारियल ये 5 चीजें कभी भी हाथ से गिरना नहीं चाहिए। शास्त्रों में लिखा है इन 5 सफेद चीजों के हाथ से गिरने पर होते हैं अशुभ होने के संकेत…

नमक :- नमक को कभी भी नीचे नहीं गिरना चाहिए इससे घर में आर्थिक तंगी हो जाती है। अगर किसी के हाथों से नमक नीचे गिर जाता है तो उसके जीवन में परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं और ग्रह भी परेशान कर सकते हैं इसलिए हाथ से नमक का गिरना अशुभ है। कुछ लोग नमक के गिरने को उम्र से भी जोड़ कर देखते हैं।

दूध :- दूध सफेद चीजों में सबसे शुभ सामग्री माना जाता है। दूध का हाथ से नीचे गिरना संतान के जीवन में परेशानी खड़ी कर सकता है। जबकि गैस के चुल्हे पर दूध का गिरना शुभ माना जाता है। नए घर के वास्तु में जानबूझ कर दूध को उबाल कर गिराया जाता है या खीर बनाकर नीचे गिराई जाती है।

चावल :- चावल को अक्षत कहा जाता है। चावल भी सबसे शुभ पूजा सामग्री में गिने जाते हैं। चावल का हाथ से गिरना या चावल से भरा बर्तन हाथ से छूटना अशुभ समाचार मिलने के संकेत देता है। लेकिन नई दुल्हन के गृहप्रवेश में पैरों से चावल का कलश ढुलकाया जाता है। हालांकि कई विद्वान इसे गलत प्रथा बताते हैं क्योंकि चावल अन्न है और हमारी परंपराएं अन्न को पैर लगाने की इजाजत नहीं देती है।

akshat

शकर :- शकर भगवान का प्रसाद माना जाता है। इसके नीचे गिरने से या शकर से भरा पात्र नीचे गिरने से अप्रिय समाचार मिल सकता है। ऐसी मान्यता है। .

नारियल :- नारियल का भीतरी हिस्सा सफेद होता है। और नारियल अपने हर रूप में पूजा के उपयोग में आता है। नारियल का हाथ से छूटना तरक्की की राहों में अवरोध का संकेत है।

TIL
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार चेहरे पर तिल का प्रभाव

जानें चेहरे के अलग-अलग हिस्सों पर तिल होने का क्या मतलब है

मनुष्य के शरीर के कई हिस्सों में छोटे-छोटे कई काले-और लाल बिंदू देखने को मिलते हैं, जिन्हें तिल कहा जाता है. ये तिल यदि चेहरे पर हों तो चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने का काम करते हैं. वैसे इन तिलों से इंसान की ना सिर्फ खूबसूरती बढ़ती है, बल्कि ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में इन्हें काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ये तिल आपके जीवन से जुड़े कई संकेत देते हैं, जिनमें कुछ अच्छे माने जाते हैं वहीं कुछ तिल अशुभ माने जाते हैं. इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में तिल से मनुष्य के व्यक्तित्व का भी पता लगाया जा सकता है.

Mole On Face

यदि चेहरे पर दाहिने भाग में लाल या काला तिल हो, तो वह व्यक्ति यशस्वी, धनवान तथा सुखी होता है।

यदि नीचे के होठ पर तिल का चिह्न हो, तो ऐसा व्यक्ति निर्धन होता है तथा जीवन भर गरीबी में दिन व्यतीत करता है।

यदि ऊपर के होठ पर तिल का चिह्न हो, तो ऐसा व्यक्ति अत्यधिक विलासी और काम पिपासु होता है।

यदि बायें कान के ऊपरी सिरे पर तिल का चिह्न हो, तो वे व्यक्ति दीर्घायु पर कमजोर शरीर के होते हैं।

यदि दाहिने कान के ऊपरी सिरे पर तिल का चिह्न हो, तो वे व्यक्ति सरल स्वभाव के तथा युवावस्था में पूर्ण उन्नति करने वाले होते हैं।

यदि दाहिने कान के पास तिल हो, तो ये व्यक्ति साहसी होते हैं।

यदि नासिका के मध्य भाग में तिल हो, तो वह व्यक्ति यात्रा करने वाला तथा दुष्ट स्वभाव वाला होता है।

यदि ललाट की दाहिनी कनपटी पर तिल हो, तो ऐसा व्यक्ति प्रेमी, समृद्ध तथा सुखपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाला होता है।

यदि ठोड़ी पर तिल हो, तो वह व्यक्ति अपने काम में ही लगा रहने वाला होता है तथा स्वार्थी होता है।

यदि गर्दन पर तिल हो, तो वे व्यक्ति-बुद्धिमान होते हैं तथा अपने प्रयत्नों से धन संचय करते हैं।

नाक पर तिल
नाक के अग्र भाग पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति लक्ष्य बना कर चलने वाले होते हैं.
नाक के नीचे (मूछ वाली जगह) पर कहीं भी तिल हो वह व्यक्ति भी अधिक विलासी होते हैं और नींद बहुत अधिक पसंद करते हैं.
नाक के दाहिने हिस्से पर तिल जीवन में सुख, धन-सम्पत्ति की कमी नहीं होगी दर्शाता है.
नाक के बाएं हिस्से पर तिल जीवन में संघर्ष, सफलता में अड़चने आएगी दर्शाता है.
माथे के दाहिनी तरफ तिल का होना धन हमेशा बढ़ता रहेगा का संकेत देता है.
ललाट के मध्य भाग में तिल का होना भाग्यवान और निर्मल प्रेम की निशानी माना जाता है..


माथे पर तिल
माथे के बाईं तरफ तिल का होना फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है.

गाल पर तिल
दाएं गाल पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति धनवान होते हैं.
बाएं गाल पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति खर्चीले होते हैं.


ठोड़ी पर तिल
​ठोड़ी पर तिल इस बात का सूचक है कि व्यक्ति सफल और संतुष्ट है.
​ठोड़ी पर तिल का होना भी शुभ होता है. व्यक्ति के पास हमेशा धन प्राप्ति का साधन रहता है.
जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है.
जिस पुरुष ठोड़ी पर तिल होता है, उसका स्त्री से प्रेम नहीं रहता है स्त्री से मनमुटाव रहता है.

आंख पर तिल
दाईं आंख पर तिल स्त्री से मेल होता है.
बाईं आंख पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं. आंख पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं.
​दाईं आंख पर तिल स्त्री से मेल होने का एवं बाईं आंख पर तिल स्त्री से अनबन होने का संकेत देता है.


आईब्रो पर तिल
यदि दोनों आईब्रो पर तिल हो तो जातक अकसर यात्रा करता रहता है.
दाहिनी आईब्रो पर तिल सुखमय और बाईं आईब्रो पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है.
दोनों आईब्रो के ठीक बीच में तिल होने पर व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है. ये लोग अपनी बुद्धि के बल पर ही कार्यों में सफलता और पैसा प्राप्त करते हैं.

 

होंठ पर तिल
ऊपरी होंठ के दांए तरफ तिल हो तो जीवनसाथी का पूर्ण साथ मिलता है.
ऊपरी होंठ के बाएं तरफ तिल होना जीवनसाथी के साथ लगातार विवाद होने का सूचक माना जाता है.
​निचले होंठ के दांए तरफ तिल हो तो वह व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्दि प्राप्त करते हैं. साथ ही साथ इन्हें भोजन से कोई खास लगाव नहीं होता, लेकिन विपरीत जेंडर इन्हें अधिक आकर्षित करते हैं.
निचले होंठ के बाएं तरफ तिल होना किसी विशेष रोग के होने का सूचक होता है एवं ऐसे व्यक्ति अच्छा भोजन खाने और नए वस्त्र पहनने के शौकीन होते हैं.