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34 लाख भारतीय पासवर्ड में एक ही शब्द ‘Password’ का इस्तेमाल करते
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साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाली वैश्विक संस्था नार्डपास. कॉम ने अभी हाल में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें 200 सबसे कमजोर और जल्दी हैक हो सकने वाले पासवर्ड की लिस्ट जारी की गई थी.

देश में 68 करोड़ से ज्यादा लोग सोशल मीडिया, बैंकिंग , UPI या किसी न किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़े है इनके अकाउंट को सुरक्षित रखने पासवर्ड एक ताले की चाबी की तरह होता है एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था नार्डपास ने वर्ष 2022 के सबसे ज्यादा कॉमन पासवर्ड की सूची जारी की है , नार्डपास ने ये रिसर्च भारत सहित 30 देशो में की है, रिसर्च के अनुशार कुल 49 लाख लोगो ने ने अपने पासवर्ड के रूप में ‘PASSWORD’ को ही चुना इनमे से 35 लाख तो केवल भारतीय लोग थे , 75 हज़ार से ज्यादा भारतीय पासवर्ड ने ‘Bigbasket’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे है नार्डपास पाया की लोग स्पोर्ट टीम , मूवी कैरेक्टर , फ़ूड आइटम से से जुड़े पासवर्ड का प्रयोग सबसे ज्यादा करते है

भारत में qwerty, anmol123, googledummy जैसे शब्दों का ज्यादा प्रयोग किया जा रहा साथ ही लोग अपनी प्रेमिका, पत्नी, बच्चो या India@123 जैसे शब्दों को पासवर्ड के रूप में इस्तेमाल कर रहे,

इससे लोगो के सोशल मीडिया, बैंकिंग , UPI या किसी न किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को एक मिनिट से भी कम समय में ब्रेक किया जा सकता है इसीलिए आप अगर इन शब्दों का प्रयोग करते है तो साबधान हो जाये और आपने पासवर्ड को अधिक सुरक्षित बनाये और समय समय पर पासवर्ड को बदलते रहे म साथ ही पासवर्ड या OTP को किसी के साथ साझा न करे

पासवर्ड में इन शव्दो का ज्यादा प्रयोग

PASSWORD
123456
123345678
BIGBASKET
123456789
PASS@123
1234567890
ANMOL123
ABCD1234
GOOGLEDUMMY

आजकल जल्दी में काम निपटाने के लिए लोग कार्ड या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर ध्यान देते हैं. यह काम कम समय में हो जाता है लेकिन इसके कई खतरे हैं. स्वाइप मशीन या पीओएस से भी ट्रांजेक्शन किया जाता है. इन साधनों के साथ फ्रॉड के खरते भी बढ़ रहे हैं. इससे बचने का सिर्फ एक ही तरीका है कि यूजर अपने मोबाइल फोन में इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करते वक्त स्ट्रांग पासवर्ड का इस्तेमाल करें. पासवर्ड कभी भी साधारण नहीं रखें. उसमें शब्द और संख्या मिलाकर डालें. कुछ स्पेशल कैरेक्टर्स भी डाल सकते हैं. बैंकिंग सुरक्षा के लिए यह सलाह दी जाती है कि पासवर्ड मोबाइल या अपने कंप्यूटर पर लिख कर नहीं रखें. किसी व्यक्ति को इसकी जानकारी न दें और समय-समय पर इसे बदलते रहें.

आजकर जिस तेजी से फ्रॉड की घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे कस्टमर के साथ-साथ बैंकों की भी परेशानी बढ़ रही है. कस्टमर का पैसा गायब होता है तो बैंकों की जिम्मेदारी होती है उसे समय पर लौटाएं और कस्टमर्स को उच्च स्तर की सुरक्षा दें. कस्टमर को जब तक बैंक पर भरोसा नहीं होगा, बैंक का काम तेजी से नहीं बढ़ेगा. फिशिंग, ट्रोजन या मैलवेयर जैसे खतरे जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उसके बारे में बैंक समय-समय पर लोगों को आगाह करते हैं. हाल के दिनों में सिम स्वैप की घटनाएं भी बढ़ी हैं जिसे लेकर बैंकों ने अपने कस्टमर्स को सावधान किया है.

https://nordpass.com/

बचत और निवेश एक सुगम आर्थिक मार्ग : प्रदीप कुमार जैन “लिम्का बुक आफ रिकार्डस” धारक 

“अल्प बचत से (बूँद -बूँद से बनता सागर) कैपिटल फारमेशन एक सुगम आर्थिक मार्ग” : प्रदीप कुमार जैन (PennyWise)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हम जिस समाज में रहते हैं वहाँ की हर आवश्यकता की पूर्ति के लिए धनराशि की आवश्यकता होती है हर एक साधारण नागरिक के पास छोटी-छोटी धनराशि हमेशा उपलब्ध पर और वह उसे बडा़ बनाने की इच्छा ही नहीं हर संभव प्रयास करना चाहता है किन्तु मार्गदर्शन के अभाव में ऐसा नहीं कर पाता है मैंने अर्थशास्त्र में मास्टर तक शिक्षा प्राप्त करी है तथा कोरबा (छत्तीसगढ़)जैसे विकास की मुख्यधारा से दूर स्थान पर 36 वर्ष से ज्यादा समय तक रहकर मेरे इस अनुकरणीय कार्य का राष्ट्रीय कीर्तिमान वर्ष 1997 में जो कि हमारे देश की स्वतन्त्रता दिवस की पचासवीं वर्षगाँठ वर्ष था में इस कार्य को अनोखे तरीके से कार्य करने वाली संस्था “लिम्का बुक आफ रिकार्डस” ने अपने पेज क्रमांक 176 पर PennyWise के नाम से दर्ज किया है।

 आज हमारे देश की जनता की व्यक्तिगत एवं रोजाना की घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए नियमित, स्वअनुशासित तरीके से लम्बे समय के लिए “अल्प बचत” करने की आदत डालने की आवश्यकता है तथा आम जनता सफल रोल माडल की वर्किंग स्टाइल की नकल करना सहज स्वीकार करना आसान मानती है और इस प्रक्रिया से “कैपिटल फारमेशन” होगा ।

बचत सभी करना चाहते हैं और शायद यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि बचत करना सबसे ज्यादा कष्ट का कार्य है।बचत करने के लिए अपनी इच्छाओं को पोस्टपोन् करना पड़ता है।मैंने अल्प बचत करने के दो बार राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाकर कीर्तिमानों को दर्ज करनेवाली संस्था लिम्का बुक आफ रिकार्डस में आजा से 24 वर्ष पहले देश की स्वतन्त्रता दिवस की 50 वीं सालगिरह वर्ष पर देश को अनोखा गिफ्ट दिया था और इस वर्ष देश की स्वतन्त्रता दिवस के 75 वीं सालगिरह वर्ष में आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।

मैंने 1979 में कक्षा 11वीं की बोर्ड परीक्षा पास करी नम्बर भी ज्यादा नहीं आऐ टोटल परसेन्टेज 54.12 थे।और उसी वर्ष से PRE ENGINEERING TEST (PET) की शुरूआत हुई थी।और मेरे सहपाठी छात्रों को जिनके 48% अंक आऐ थे उन्हें भी प्रदेश के किसी न किसी इंजीनियरिंग कालेज में सीट मिल ही गई थी।
मैं चूँकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार का सदस्य था तो मेरी आवश्यकता जल्दी से जल्दी पैसा कमाने की थी।
तो मैंने आई.टी.आई. में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिऐ रेडियो एवं टेलीविजन ट्रेड से करने के लिऐ एडमिशन लिया।
वर्ष 1981 में मेरा आई.टी.आई. का दो वर्षों की प्रशिक्षण अवधि पूरी हुई।
वर्ष 1982 में “एशियाड -82” का आयोजन हमारे देश में होना था एवं तात्कालीन प्रधानमंत्री महोदया ने अपनी इच्छा व्यक्त करी की “एशियाड -82” का लाइव टेलीकास्ट कम से कम हर राज्य के एक शहर में दूरदर्शन के माध्यम से अवश्य होगा।उनकी इस इच्छा से मेरे जैसे प्रशिक्षुकों को रोजगार प्राप्त होने की उम्मीद जगी।
हालाँकि मुझे 1982 में ही “केंपस सिलेक्शन पद्धति” पर रोजगार का अवसर “भारत अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड”बालकोनगर,कोरबा -जिला बिलासपुर में मिला।
उस समय यह स्थान भौगोलिक दृष्टिकोण से विकास की मुख्यधारा से बहुत दूर स्थित था।
सिलेक्शन पश्चात मेडिकल एक्जामिनेशन पास करना आवश्यक था।जो करीब 3 दिन चलता था।
मेडिकल एक्जाम पास होने की रिपोर्ट के लिऐ 3 से 5 दिन इंतजार करना पड़ता है।
पास होने की स्थिति में एक बाँड भरना पड़ता था जिसे “साल्वेन्सी” के नाम से जाना जाता था।
फिर एक वर्ष की अवधि के लिऐ प्रशिक्षण पर नियुक्ति करी जाती थी।
एक वर्षीय प्रशिक्षण पूर्ण होने पर 27 फरवरी 1984 से कंपनी के नियमित कर्मचारी के रूप में नियुक्ति मिली।

कीर्तिमान रचना बुरा नहीं किन्तु हमारे देशभर में कीर्तिमानों को रचने वाले कीर्तिमान धारकों को कोई कल्याणकारी सुविधा नहीं है न तो किसी सामाजिक संस्था के द्वारा और न ही सरकार के द्वारा जबकि कीर्तिमान रचने में जो मेहनत लगती है वह “आउट आफ एनी यूनीवर्सिटी सिलेबस” से ज्यादा लगती है।

लेख : प्रदीप कुमार जैन “लिम्का बुक आफ रिकार्डस” धारक 

SBI
SBI ने LOAN की ब्याज दरों में 15 बीपीएस तक की बढ़ोतरी की, कर्ज की EMI और बढ़ेगी

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपनी उधारी दर की सीमांत लागत (MCLR) को सभी अवधियों में 10-15 आधार अंकों तक बढ़ा दिया है। इस नवीनतम एमसीएलआर वृद्धि के कारण, उधारकर्ताओं का ईएमआई खर्च और बढ़ जाएगा। नई ब्याज दरें 15 नवंबर, 2022 से प्रभावी हैं।

एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार, एक महीने और तीन महीने के लिए एमसीएलआर 7.60% से बढ़ाकर 7.75% कर दिया गया है; छह महीने और एक साल के लिए एमसीएलआर को 7.90% से बढ़ाकर 8.05% कर दिया गया है; तीन वर्षों के लिए एमसीएलआर को 8.15% से बढ़ाकर 8.25% कर दिया गया है; और तीन साल के लिए MCLR को 8.25% से बढ़ाकर 8.35% कर दिया गया है।

बैंक ने इससे पहले 15 अक्टूबर, 2022 को एमसीएलआर में बढ़ोतरी की थी। बैंक ने सभी अवधि के लिए दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की बढ़ोतरी की थी।

SBI