कपूर: एक सुगंध नहीं, ऊर्जा का स्रोत है

कपूर
कपूर: एक सुगंध नहीं, ऊर्जा का स्रोत है
कपूर

“कपूर का रहस्य”

“जो स्वयं जलकर शुद्धि करे”
कपूर को तंत्रशास्त्र में एक “जीवित ऊर्जा वाहक” माना गया है।
यह कोई आम सामग्री नहीं, बल्कि एक ऐसा “ऊर्जा-संकेतक यंत्र” है जो:

किसी भी अनुष्ठान में वातावरण को शुद्ध करता है।
नकारात्मक शक्तियों को बाहर निकालकर दैविक आवाहन को सरल बनाता है।
किसी भी मंत्रोच्चारण या धूप-दीप से पहले कपूर जलाना, शक्तियों को जागृत करने का पहला कदम है।
इसे जलाकर देवी-देवताओं को अर्पित करना, “स्वाहा” का जीवंत रूप होता है।

“जब कपूर जलता है, तब क्या होता है?”

जब कपूर जलता है, तब…

वह धुएं के रूप में “नकारात्मक ऊर्जा को सोख” लेता है।
उसकी तीव्र सुगंध वातावरण के “सूक्ष्म स्तर” को बदल देती है।
यही कारण है कि कई साधक अपने “तांत्रिक प्रयोग” में कपूर और इत्र का संयोजन करते हैं।

“आम जीवन में कपूर के लाभदायक उपाय”

“दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर करें”

हर शुक्रवार या मंगलवार को कपूर में 2 लौंग डालकर जलाएं।
इससे घर की रुकी हुई ऊर्जा प्रवाह में आ जाती है। लक्ष्मी का आगमन सहज होता है।

“नींद ना आना, भय और तनाव”

रात में सोते समय तकिए के नीचे एक कटोरी में कपूर रखें।
इससे डरावने स्वप्न, बेचैनी और मानसिक चिंता खत्म होती है।

“शत्रु बाधा और नज़र दोष”

कपूर, अजवाइन और राई को मिलाकर सफेद ओसार(कपड़ा) में एक पोटली बनाएं।
हर शनिवार शाम को उसे जलाकर घर के चारों कोनों में धुआं करें।
इससे शत्रु सोच भी नहीं सकता कि वह आपकी ऊर्जा को छू पाए।

“पूजा से पहले दीप में कपूर जलाना क्यों जरूरी है?”

दीपक के तेल में थोड़ा कपूर मिलाकर जलाने से –
“देवी-देवता प्रसन्न होते है।”
जिससे सकारात्मक ऊर्जाएं आपकी ओर आकर्षित होती है।

“कपूर एक संदेश है:”
तुम जलो, स्वयं को अर्पित करो –
और उस प्रकाश में अपने कर्म,
बाधाएं और नकारात्मकता को समाप्त
करो।”

कपूर केवल एक सुगंध या परंपरा नहीं –
यह एक “ऊर्जा का प्रज्वलित रूप” है
जो हमारे “ऊर्जा चक्रों” को चेतन करता है

क्या आपने आज कपूर से अपने घर का शुद्धिकरण किया?
अगर नहीं, तो आज ही इस रहस्य को अपने जीवन का हिस्सा बनाइए।
क्योंकि…
“जहाँ कपूर जलता है, वहाँ तामसिक ऊर्जा जलती है।”

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