Statue of Purity विश्व की सबसे ऊँची 151 फुट उत्तंग अष्ट धातु की भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी जी की प्रतिमा

Statue of Purity
Statue of Purity विश्व की सबसे ऊँची 151 फुट उत्तंग अष्ट धातु की भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी जी की प्रतिमा

भारत (अष्टापद तीर्थ जैन मंदिर गुरुग्राम दिल्ली) में बनने जा रही है विश्व की सबसे ऊँची 151 फुट उत्तंग अष्ट धातु की श्री 1008 भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी जी की प्रतिमा,

अष्टापद तीर्थ जैन मंदिर गुरुग्राम राजधानी दिल्ली के समीप बिलासपुर चौक के पास पुराने टोल दिल्ली जयपुर हाइवे के पास है जंहा बनने जा रही है विश्व की सबसे ऊँची 151 फुट उत्तंग अष्ट धातु की श्री 1008 भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी जी की प्रतिमा,

देश की पहली 151 फीट ऊंची भगवान मुनिसुव्रत नाथ की अष्ट धातु प्रतिमा का निर्माण हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित अष्टापद जैन तीर्थ में होगा। इसके निर्माण के लिए उपयोगी अष्ट धातु को एकत्रित करने के लिए पुण्यार्जाक रथ 11 नवंबर से भोपाल से निकलकर प्रदेश के सभी जैन मंदिरों में भ्रमण कर रहा हैं। जो गुरुवार और शुक्रवार को मनावर में पहुंचा। यह रथ देश के विभिन्न शहरों से लेकर गांव भेजा जाएगा।

इस प्रतिमा का नाम ‘स्टेच्यू ऑफ प्‍युरिटी’ रखा गया है। प्रतिमा के निर्माण में 35 हजार टन अष्ट धातु का उपयोग होगा, जिसके लिए पुण्यार्जाक रथ हर शहर और गांव में जाकर धातु का कलेक्शन कर रहा है। जिसके माध्यम से अधिकांश जैन समाजजन प्रतिमा के निर्माण में अपने घर में रखे अष्ट धातु को दान कर प्रतिमा निर्माण में सहभागिता प्रदान कर रहे हैं।

 इसकी शुरुआत 2018 में श्रवण बेलगोला बाहुबली महा मस्काभिषेक के दौरान दिगंबर जैन समाज के 32 आचार्य, 4 उपाध्याय, 4 सौ मुनि, आर्यिका, ऐलक, छुल्लक, छुल्लिका के पावन सानिध्य में शुरुआत की गई।

रथ के संयोजक अमर जैन ने कहा कि इस प्रतिमा के प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी धर्मचंद शास्त्री दिल्ली के हैं। भारत देश से 10 हजार टन अष्‍ट धातु इकट्ठा होते ही प्रतिमा की ढलाई का कार्य जाएगी। अभी मप्र में प्रदेश में दो पुण्यार्जाक रथ के माध्यम से करीब 100 गांवों में पहुंच चूका है। अभी तक 15 टन अष्टधातु दान के रूप में प्राप्त हो गई है। रथ के माध्यम से सर्वधर्म समाज के नागरिक भी अपनी इच्छा अनुसार दान कर सकते है।

मंदिर जी में चमत्कारी कलिकुण्ड पार्श्वनाथ का ऐतिहासिक यंत्र बनाया गया है जो मात्र अष्टापद में ही है, भगवन आदिनाथ के समीप में अतिशययुक्त श्री चन्द्रप्रभु भगवन की मूर्ति विराजमान है

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वंहा पर विश्व की सबसे ऊँची 151 फुट उत्तंग अष्ट धातु की दिगंबर जैन तीर्थंकर श्री 1008 भगवान मुनिसुव्रत नाथ स्वामी जी की प्रतिमा का निर्माण हो रहा जो विश्व में आदृतिय प्रतिमा होगी

प्रतिमा के चारो और 10000 लोगो के बैठने की समुचित व्यवस्था के लिए एक अतिआधुनिक सज्जाओ से परिपूर्ण दीर्घा का निर्माण प्रस्तावित है

purity

नई सोच, नई उड़ान, एक लक्ष्य, एक काम, एक संकल्प , 151 फिट प्रतिमा निर्माण

मूर्ति की विशेषता

मूर्ति निर्माण में 35 हजार टन धातु लगने की संभावना है। मूर्ति के साथ 181 फुट का परिकर भी बनेगा। मूर्ति की ऊंचाई 151 फुट रहेगी। मूर्ति का निर्माण अति आधुनिक टेक्नोलॉजी से होगा। मूर्ति का निर्माण 10 ताल (10 अलग-अलग भागों) में होगा। इस मूर्ति की नींव 140 फुट की होगी और दस हजार दर्शननार्थ एक जगह बैठ सकेंगे, इसके लिए विशाल स्टेडियम बनेगा।

विश्व में प्रथम शनिग्रहारिष्ट निवारक अद्वितीय विशालकाय भगवान महामुनि मुनिसुव्रत स्वामी की 151 फुट ऊंची भव्य कलाकृति के साथ अष्ट धातु से निर्मित की जाएगी।

प्रतिमा जी की ऊंचाई 151 फिट होगी , जिसमे 25000 टन से अधिक अष्टधातु का प्रयोग होगा
प्रतिमा जी का परिकर 180×180 फिट
परिकर और पडम का बजन 10000 टन से अधिक होगा
प्रतिमा जी में 25000 टन ताम्बा पीतल
प्रतिमा जी में 10000 टन एल्युमुनियम , जस्ता , जर्मन सिल्वर , टिन
प्रतिमा जी में 250 KG सोना
प्रतिमा जी में 3000 KG चाँदी का प्रयोग होगा

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