What is Bank Average monthly Balance (AMB)

विभिन्न बैंक के बचत खाते या चालू खाते में मासिक औसत शेष (Average Monthly balance) रखने की आवस्यकता होती है

Average Monthly Balance

विभिन्न बैंक के बचत खाते या चालू खाते में मासिक औसत शेष (average monthly balance) रखने की आवस्यकता होती है , यदि खाता धारक बचत खाते या चालू खाते में मासिक औसत शेष (average monthly balance) रखने में असमर्थ होता है तो उसे कुछ चार्ज (non-maintenance charges) देना पड़ता है जो उसके खाते से ही समायोजित किया जाता है

बैंक आपसे न्यूनतम शेष राशि की क्यों रखवाना चाहते है ?

जब कोई खाताधारक समय पर औसत मासिक शेष बनाए रखने में विफल रहता है, तो यह उनकी अनियमित आय या अस्वास्थ्यकर खर्च करने की आदतों का संकेत हो सकता है। यदि वे ऋण के लिए आवेदन करते हैं तो यह अंततः उनके क्रेडिट स्कोर और ऋण पात्रता की संभावना को प्रभावित करता है

मासिक औसत बैलेंस कैसे निर्धारित किया जाता है?

अधिकांश बैंक, बचत खातों में दिन के अंत खाते ने शेष राशि का उपयोग करके AMB की गणना करते हैं, और माह के प्रत्येक दिन के अंत में शेष राशि को जोड़ कर उस माह में दिनों की संख्या से भाग दिया जाता है

AMB की गणना करने का एक आसान सूत्र है:

AMB = The sum of each day’s closing balance / Number of days in the month

 

एएमबी = महीने में प्रत्येक दिन की क्लोजिंग बैलेंस / दिनों की संख्या का योग

स्वस्थ औसत मासिक शेष बनाए रखने के लिए दिशानिर्देश

बहुत अधिक खाते बनाने से बचें
एकमुश्त जमा करें
 
Bank के नए नियम: ‘चेक बाउंस’ होने पर दूसरे खाते से काटे जाएंगे पैसे!

चेक बाउंस के मामलों (Cheque Bounce Case) पर केंद्र सरकार सख्ती से निपटने की योजना बना रही है. आपको बता दे कि वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) चेक जारी करने वाले के अन्य खातों से पैसा काटने और ऐसे मामलों में नए खाते खोलने पर रोक लगाने जैसे कई कड़े नियमो को लाने पर विचार कर रही है.

Finance Ministry ने चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी. इस तरह के कई सुझाव प्राप्त हुए हैं. ऐसे मामलों से कानूनी प्रणाली पर भार बढ़ता जा रहा है. इसमें कुछ ऐसे सुझाव हैं जिनमें कुछ कदम कानूनी प्रक्रिया से पहले उठाने पर चर्चा की गई है. साथ ही चेक जारी करने वाले के खाते में पर्याप्त पैसा नहीं है तो उसके अन्य खातों से राशि काट लेना का नियम आ सकता है.

कानूनी राय पर विचार

सूत्रों के अनुसार अन्य सुझावों में चेक बाउंस के मामले को कर्ज चूक की तरह लेना और इसकी जानकारी लोन सूचना कंपनियों को देना शामिल है, जिससे कि व्यक्ति के अंक कम किए जा सके. इन सुझावों को स्वीकार करने से पहले कानूनी राय ली जाएगी.

ये सुझाव अमल में आते हैं, तो भुगतानकर्ता को चेक का भुगतान करने पर मजबूर होना पड़ेगा और मामले को अदालत तक ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे कारोबारी सुगमता बढ़ेगी तथा खाते में पर्याप्त पैसा नहीं होने के बावजूद जानते-बूझते चेक जारी करने के चलन पर भी रोक लगेगी. चेक जारी करने वाले के अन्य खाते से राशि स्वत: काटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया और अन्य सुझावों को देखना होगा. चेक बाउंस होने का मामला अदालत में दायर किया जा सकता है और यह एक दंडनीय अपराध है जिसमें चेक की राशि से दोगुना जुर्माना या दो वर्ष तक का कारावास या दोनों सजा हो सकती है.

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उद्योग संगठन (पीएचडीसीसीआई) ने हाल में वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया था कि चेक बाउंस के मामले में बैंक से पैसा निकलने पर कुछ दिन तक अनिवार्य रोक जैसे कदम उठाए जाएं जिससे कि चेक जारी करने वालों को जवाबदेह बनाया जा सके. PHDCCI का कहना है कि केंद्र सरकार को ऐसा कानून लाना चाहिए, जिसके तहत चेक का भुगतान नहीं होने की तारीख से 90 दिन के अंदर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता के जरिये मामले को सुलझाया जाएगा.

केन्द्रीय वित्तीय सेवा विभाग के सचिव संजय मल्होत्रा ​​को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उद्योग ने चेक बाउंस होने का मुद्दे को गंभीरता के साथ उठाया है. पीएचडीसीसीआई (PHDCCI) के महासचिव सौरभ सान्याल का कहना है कि भारत सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कारोबार सुगमता पर ध्यान केंद्रित कर रही है, इसलिए चेक के बाउंस होने से संबंधित मुद्दों पर विचार करना बहुत महत्वपूर्ण है. यह खरीदार और विक्रेता के बीच अविश्वास पैदा करता है.