काली हल्दी के सौभाग्यवर्धक प्रयोग

धन और ऐश्वर्य की देवी विष्णुपत्नी महालक्ष्मी है। लक्ष्मी की प्रसन्नता से धनवान होने के लिए तंत्र विज्ञान में बहुत से सरल प्रयोग बताये गये है। इन में से एक प्रयोग है रसोई में प्राय: मसालों के रुप में उपयोग आने वाली हल्दी से धन प्राप्ति का रास्ता।

हर व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में हल्दी का उपयोग किसी न किसी रुप में करता ही है। भोजन,चोट लगने, मांगलिक कार्य, पूजा-अर्चना में हल्दी का उपयोग किया जाता है।

अक्सर हम हल्दी की पीली और नारंगी रंग की गांठ देखते हैं। किंतु इन्हीं हल्दी की गांठों में संयोग से कभी-कभी काले रंग की गांठ भी पैदा हो जाती है। लेकिन जानकारी के अभाव में हम उसे खराब मानकर अलग कर देते हैं, फेक देते है। जबकि तंत्र विज्ञान के अनुसार यह काली हल्दी की गांठ ही धन का खजाना माना जाता है। जिसकी विधिवत साधना से अपार धन-संपदा पाई जा सकती है।

हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा भी कहा जाता है। तंत्र विद्या में लक्ष्मी प्राप्ति के इस प्रयोग को साधना कहा जाता है। तंत्र विज्ञान में काली हल्दी बहुत अनमोल, अद्भुत और देवीय गुणों वाली मानी जाती है। हालांकि इसका रंग-रुप भद्दा और अनाकर्षक होता है, किंतु धन प्राप्ति की दृष्टि से बहुत प्रभावकारी मानी गई है।

अगर संयोग से आपको काली हल्दी मिल जाए तो आप स्वयं को सौभाग्यशाली मानें उसे अपने देवालय में विष्णु-लक्ष्मी प्रतिमा के समीप रखें और विधिवत पूजा करें। माना जाता है कि इसके रखने मात्र से ही घर में सुख-शांति आने लगती है। काली हल्दी की गांठ को चांदी के साथ या किसी भी सिक्के के साथ एक स्वच्छ और नए वस्त्र में बांधकर अन्य देव प्रतिमाओं के साथ पूजा करें। इस पोटली को गृहस्थ अपने घर की तिजोरी और व्यापारी अपने गल्ले में रख दें। ऐसा करने पर धनोपार्जन में आने वाली बाधा दूर होती है और अद्भूत धनलाभ होता है। तंत्र विज्ञान में काली हल्दी की गांठ या हरिद्रा तंत्र की सिद्धी के लिए पूजा विधान, नियम बताए गए हैं।

धन प्राप्ति के लिए हल्दी की काली गांठ यानि हरिद्रा तंत्र की साधना शुक्ल या कृष्ण पक्ष की किसी भी अष्टमी से शुरु की जा सकती है। इसके लिए पूजा सूर्योदय के समय ही की जाती है।

हरिद्रा तंत्र की नियम-संयम से साधना व्रती को मनोवांछित और अनपेक्षित धनलाभ होता है। रुका धन प्राप्त हो जाता है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस तरह एक हरिद्रा यानि हल्दी घर की दरिद्रता को दूर कर देती है।

पूर्वी मनोगत और गहन अध्ययनों से पता चला है की काली हल्दी बंगाल में चमत्कारी औषधियों के उपयोगों के कारण बहुत उपयोग में लायी जाती है। साधक इसे माता काली जी की पूजा करने में भी प्रयोग करते है। यह घर में बुरी शक्तियों को प्रवेश नहीं करने देती है। इसको ज्यादा बाधायों का नाश करने में उपयोग किया जाता है।

* यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो पहले गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उस में गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उसार कर गाय को खिला दें । यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।

* यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में काली हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुये जल में प्रवाहित कर दें । इस से नजर से मुक्ति मिलेगी।

* शुक्लपक्ष के प्रथम गुरूवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाने से गुरू और शनी दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे। यदि किसी के पास धन आता तो बहुत है किन्तु टिकता नहीं है, उन्हे यह उपाय अवश्य करना चाहिए।

* शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में काली हल्दी रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रूकने लगेगा।

* यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरूवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार •“ऊँ नमो भगवते वासुदेव नमः” का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगति आ जाती है।

* यदि आपका व्यवसाय मशीनों से सम्बन्धित है, और आये दिन कोई मंहगी मशीन आपकी खराब हो जाती है। तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्दी खराब नहीं होगी।

* दीपावली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

* यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीडि़त हो तो किसी अच्छे मूहूर्त में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें। तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर धागे की मदद से उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेंवन कराते रहें। इस से आप को अवश्य लाभ मिलेगा।

* शुभ दिन में गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र हो। राहुकाल न हो, शुभ घड़ी में काली हल्दी को लाएँ। इसे शुद्ध जल से भीगे कपड़े से पोंछकर लोबान की धूप की धुनी में शुद्ध कर लें व कपड़े में लपेटकर रख दें। आवश्यकता होने पर इसका एक माशा चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन कराये व एक छोटा टुकड़ा काटकर धागे में पिरोकर रोगी के गले या भुजा में बाँध दें। इस प्रकार उन्माद, मिर्गी, भ्रांति और अनिन्द्रा जैसे मानसिक रोगों मे बहुत लाभ होता है।

* गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर धूप आदि देकर कुछ सिक्कों के साथ बाँधकर बक्से या तिजोरी में रख दें तो धनवृद्धि होने लगती है।

* काली हल्दी, श्वेतार्क मूल, रक्त चन्दन और हनुमान मंदिर या काली मंदिर में हुए हवन की विभूति गोमूत्र में मिलाकर लेप बनायें और उससे घर के मुख्य द्वार और सभी प्रवेश के दरवाजों के ऊपर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। इससे किसी भी प्रकार की बुरी नजर, टोना टोटका या बाधा आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।

* जिस व्यक्ति को बुरी नजर लगी हो या बार बार लगती हो या अक्सर बीमार रहता हो तो काली हल्दी, श्वेतार्क मूल, रक्त चन्दन और हनुमान मंदिर या काली मंदिर में हुए हवन की विभूति गोमूत्र में मिलाकर मिश्रण का तिलक माथे, कंठ व् ह्रदय पर करे तो वो सुरक्षित रहता है।

* काली हल्दी का चूर्ण दूध में भिगोकर चेहरे और शरीर पर लेप करने से सौन्दर्य की वृद्धि होती है।

* मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तंत्र शास्त्र में हरिद्रा तंत्र में चर्चा की गयी है। कहते हैं, इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य की वर्षा करती हैं। हरिद्रा यानी काली हल्दी खाने के काम में नहीं आती, पर चोट लगने और दूसरे औषधीय गुणों में इसे महत्व दिया जाता है। यदि किसी को इस काली हल्दी की गांठ प्राप्त हो, तो उसे पूजा घर में रख दें। मान्यता है कि यह जहां भी होती है, सहज ही वहां श्री-समृद्धि का आगमन होने लगता है। हरिद्रा तंत्र को नए कपड़े में अक्षत और चांदी के टुकड़े अथवा किसी सिक्के के साथ रखकर गांठ बांध दें। और धूप-दीप से पूजा करके गल्ले या बक्से में रख दें, तो आश्चर्यजनक आर्थिक लाभ होने लगता है। लेकिन इसको घर में रखने से पहले अभिमंत्रित भी कर लें, तभी इसका विशेष प्रभाव दिखता है।

* हरिद्रा तंत्र के लिए साधना विधि महीने की किसी भी अष्टमी से इस पूजा को शुरू कर सकते हैं इस दिन प्रात: उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। तत्पश्चात् काली हल्दी की गांठ को धूप-दीप देकर नमस्कार करें। फिर उगते हुए सूर्यको नमस्कार करें और 108 बार •‘‘ॐ ह्रीं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करे।’

इसके बाद स्थापित काली हल्दी की पूजा करें। पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार करें । यथाशक्ति दान-पुण्य भी करें। हरिद्रा तंत्र की साधना में यह तथ्य स्मरण रखना चाहिए कि इसके साधक के लिए मूली, गाजर और जिमींकंद का प्रयोग वर्जित है। इस प्रयोग को विधिपूर्वक करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। घर में बरकत होती है।

* चंदन की भाँति काली हल्दी का तिलक लगाएँ। यदि अपनी कनिष्ठा उँगली का रक्त भी मिला दिया जाए तो प्रभाव में वृद्धि होगी। यह तिलक लगाने वाला सबका प्यारा होता है। सामने वाले को आकर्षित करता है।

* काली हल्दी, रोली, तुलसी की मंजरी को समरूप आंवले के रस में पीस कर जिसके भी सम्मुख जायेंगे वो स्वतः आपके अनुरूप कार्य करेगा।

* काली हल्दी, श्वेतार्क मूल, श्वेत चन्दन, गोरोचन, पान और हरसिंगार की जड़ पीस कर एक चाँदी की डिब्बी में लेप बनाकर रख लें। जिसे वश में करना हो उसके सम्मुख आने से पूर्व इसका तिलक धारण कर लें। इस प्रकार कि तिलक लगाने के बाद आपको सर्व प्रथम देखे।

केसर के तिलक का महत्व व लाभ
केसर के तिलक का महत्व व लाभ

केसर के तिलक का महत्व व लाभ

हिंदू संस्कृति में तिलक का बहुत महत्व माना जाता है। कोई धार्मिक कार्य या पूजा-पाठ में सबसे पहले सबको तिलक लगाया जाता है। यही नही जब हम कभी किसी धार्मिक स्थल पर जाते हैं तब भी सर्वप्रथम हमें तिलक लगाया जाता है। दरअसर हिंदू संस्कृति व शास्त्रों में तिलक को मंगल व शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति शुभ काम के लिए जाता है तो उसके मस्तक पर तिलक लगाकर उसे विदा किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं तिलक आपकी कई मनोरामनाएं भी पूरी करता है।
शास्त्रों में तिलक के संबंध में विस्तार से बताया गया है। अलग-अलग पदार्थों के तिलक करने से अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति होती है। चंदन, अष्टगंध, कुमकुम, केसर आदि अनेक पदार्थ हैं जिनके तिलक करने से कार्य सिद्ध किए जा सकते हैं। यहां तक कि ग्रहों के दुष्प्रभाव भी विशेष प्रकार के तिलक से दूर किए जा सकते हैं।

तिलक का मुख्य स्थान मस्तक पर दोनों भौ के बीच में होता है, क्योंकि इस स्थान पर सात चक्रों में से एक आज्ञा चक्र होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन तिलक लगाने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति को ज्ञान, समय से परे देखने की शक्ति, आकर्षण प्रभाव और उर्जा प्रदान करता है। इस स्थान पर अलग-अलग पदार्थों के तिलक लगाने का अलग-अलग महत्व है। इनमें सबसे अधिक चमत्कारी और तेज प्रभाव दिखाने वाला पदार्थ केसर है। केसर का तिलक करने से कई कामनाओं की पूर्ति की जा सकती है।

दांपत्य में कलह खत्म करने के लिए
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जिन लोगों का दांपत्य जीवन कलहपूर्ण हो उन्हें केसर मिश्रित दूध से शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही अपने मस्तक, गले और नाभि पर केसर कर तिलक करें। यदि लगातार तीन महीने तक यह प्रयोग किया जाए तो दांपत्य जीवन प्रेम से भर जाता है।

मांगलिक दोष दूर करने के लिए
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जिस किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मांगलीक दोष होता है ऐसे व्यक्ति को दोष दूर करने के लिए हनुमानजी को लाल चंदन और केसर मिश्रित तिलक लगाना चाहिए। इससे काफी फायदा मिलता है।

सफलता और आरोग्य प्राप्त करने के लिए
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जो व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, आकर्षक व्यक्तित्व, सौंदर्य, धन, संपदा, आयु, आरोग्य प्राप्त करना चाहता है उसे प्रतिदिन अपने माथे पर केसर का तिलक करना चाहिए। केसर का तिलक शिव, विष्णु, गणेश और लक्ष्मी को प्रसन्न करता है। शिव से साहस, शांति, लंबी आयु और आरोग्यता मिलती है। गणेश से ज्ञान, लक्ष्मी से धन, वैभव, आकर्षण और विष्णु से
भौतिक पदार्थों की प्राप्ति होती है।

आकर्षक प्रभाव पाने के लिए
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केसर में जबर्दस्त आकर्षण प्रभाव होता है। प्रतिदिन केसर का तिलक लगाने से व्यक्ति में आकर्षण प्रभाव पैदा होता है और प्रत्येक व्यक्ति को सम्मोहित करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।

केसर के तिलक होने वाले अन्य लाभ
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1 जिन स्त्रियों को शुक्र से संबंधित समस्या है, जैसे पति से अनबन, परिवार में लड़ाई झगड़े, मान-सम्मान की कमी हो वे किसी महिला या कन्या को मेकअप किट के साथ केसर दान करें।

2घर में आर्थिक तंगी बनी रहती है। पैसे की बचत नहीं होती है तो नवरात्रि या किसी भी शुभ दिन सात सफेद कौडि़यों को केसर से रंगकर उन्हें लाल कपड़े में बांधें और श्रीसूक्त के सात बार पाठ करें। अब इस पोटली को अपनी तिजोरी में रखें। जल्द ही धनागम होने लगेगा।

3अपने व्यापार या कामकाज से जुड़े दस्तावेज जैसे बही-खातों, तिजोरी आदि जगह केसर की स्याही का छिड़काव करने से व्यापार खूब फलता है।

4 मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए एक सफेद कपड़े को केसर की स्याही से रंगें। अब इस कपड़े को अपनी तिजोरी या दुकान आदि के गल्ले में बिछाएं और पैसा इसी कपड़े पर रखें। यह स्थान पवित्र बना रहे इसका खास ध्यान रखें। ऐसा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है और पैसे की आवक अच्छी होती है।

5 चतुर्दशी और अमावस्या के दिन घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा यानी नैऋत्य कोण में केसर की धूप देने के पितृ प्रसन्न होते हैं। इससे पितृदोष शांत होता है और व्यक्ति के जीवन में तरक्की होने लगती है।