Archives June 2023

बारिश के पानी के कई सारे फायदे

बारिश का पानी चमका देगा किस्मत, जानिए बारिश के पानी के चमत्कारी उपाय

बारिश के पानी के कई सारे फायदे होते हैं। वास्तु के अनुसार भी बारिश के पानी लाभ है। जी हां, बारिश के पानी की मदद से आप जीवन में बढ़ रहे कर्ज को कम कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे करें-


1. कहते हैं कि यदि कर्ज नहीं उतर पा रहा है तो बारिश का पानी एक बाल्टी में एकत्रित कर लें और उसमें दूध डालकर भगवान स्मरण करके पूरे माह में इसी तरह स्नान कर लें। धीरे-धीरे आपका कर्ज उतरने लगेगा।

2. यह भी कहा जाता है कि यदि कारोबार में घाटा हो रहा हो तो पीतल के बर्तन में वर्षा जल एकत्रित करके माता लक्ष्मी और विष्णुजी का एकादशी के दिन इस जल से अभिषेक करें। इससे व्यापारिक घाटा नहीं होगा और अच्छी इनकम होने लगेगी

3. मान्यता अनुसार यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो मिट्टी के घड़े को बारिश के पानी से भरकर उसे घर की ईशान या उत्तर दिशा में रख दें। ऐसा करने से आर्थिक तंगी दूर हो जाती है।

4. यह भी कहा जाता है कि एक कटोरी में बारिश का पानी भरकर छत पर रखकर जब उस पानी को अच्छे से धूप लग जाए तो उस पानी को अपने ईष्टदेव का नाम लेकर आम के पत्तों पर छिड़क दें। इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन की कमी दूर कर देती हैं।

5. यदि किसी को विवाह में परेशानी आ रही है तो वह बारिश का पानी एकत्रित करके भगवान गणेशजी का जलाभिषेक करें।

6. यदि किसी भी प्रकार का रोग है या कोई संकट है तो तो बारिश का पानी एकत्रित करके महामृत्युंजय मंत्र के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

7. यदि आपको लगता है कि घर में कोई नकारात्मक शक्ति है जिसके कारण कर्ज आदि जैसी परेशानी हो रही है तो किसी बर्तन में बारिश का पानी एकत्रित करके उसे हनुमानजी के सामने रख दें और पूरे महीने प्रतिदिन 51 हनुमान चालीसा का पाठ करें। फिर उस पानी से घर के सभी हिस्सों में छिड़काव कर दें। इससे नकारात्मक शक्तियां हट जाएंगी।

घर में बरकत (उन्नति) के लिए वास्तु उपाय

१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।

२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |

३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1

४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।

५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |

७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |

८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।

९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |

१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं |

११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |

१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |

१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले |

१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे |

हरिद्वार
हरिद्वार (हरद्वार) की महिमा

हरद्वार जिसे हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है। इसकी महिमा अनन्त है, जिसे शास्त्रो अथवा पुराणों में बहुत गाया और बताया गया है लेकिन ये महिमा क्यों है? इसके कारण क्या हैं?

हरिद्वार

1. हरद्वार को सर्वप्रथम हर का द्वार कहा जाता है क्योंकि हरद्वार अर्थात हर (देवो के देव महादेवजी) के कैलाश से जुड़ी पर्वत श्रृंखलाओं के पर्वत हरद्वार से शुरू होते है जो हर (देवाधिदेव महादेव) के द्वार कैलाश तक जाते है और हरद्वार महादेवजी का अत्यंत प्रिय स्थान भी है इसी कारण से भी इसे हर का द्वार कहा जाता है द्वार हर तक जाने का!

2. हरिद्वार वह स्थान है जो संसार मे दूसरे स्थान पर बसा था अर्थात पृथ्वी पर सर्वप्रथम काशी मुक्तिक्षेत्र अर्थात आनंदवन की रचना हुई थी जिसे भगवान सदाशिव ने अपने शिवलोक में त्रिशूल से रचकर धरती पर स्थापित किया जो मुक्ति देने वाली काशी के नाम से त्रिलोक विख्यात है। उसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने पुत्र दक्ष प्रजापति को राज्य करने के लिए धरती पर जो स्थान प्रदान किया वो हरिद्वार ही था यहीं पर राजा दक्ष ने अपनी नगरी बसाई थी और यहीं पर वो राज्य करते थे। यहीं दक्षपुरी के नाम से पुराणों में वर्णित स्थान है। ये संसार में बसा दूसरा नगर था। पहला काशी दूसरा हरिद्वार इसलिए भी इसकी महिमा है ।

3. हरिद्वार में कुम्भ से छलका अमृत गिरा था जिसे स्वर्भानु नामक दैत्य लेकर भाग रहा था जो बाद में विष्णु भगवान के द्वारा सर विच्छेद के कारण राहु केतु के रूप में जाना गया और नवग्रहों में स्थापित हुआ। अमृत छलककर गिरने के कारण भी हरिद्वार की महिमा बढ़ी और ये कुंभनगरी बना जहां 12 वर्ष बाद कुम्भ होने लगा।

4. पुराणों और शोध में मिले तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि धरती पर सर्वप्रथम भगवान विष्णु के चरण जिस स्थान पर पड़े वो हरिद्वार ही था। बाद में हरिद्वार के मायापुरी क्षेत्र में ही भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। इन्हीं दोनों कारणों से ये स्थान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय हुआ और इसे भगवान हरि ने अपने नाम से सम्बोधित करके हरिद्वार बनाया तबसे इसके दो नाम पड़े हर का द्वार हरद्वार और हरि का भी द्वार हरिद्वार। संसार का पहला क्षेत्र जो हर और हरि दोनों को अतिप्रिय है और दोनों के नाम से जाना जाता है।

5. राजा दक्ष ने परमेश्वरी माता आदिशक्ति की तपस्या करके उनसे पुत्री रूप में अपने घर जन्म लेने का वर मांगा था तो माँ उसके घर पैदा हुई। राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप मे आदिशक्ति स्वरूपा भगवती माता सती का जन्म इसी हरिद्वार में हुआ था। यहीं उनका बालपन और युवाअवस्था गुजरी। यहीं पर उन्होंने तप करके महादेवजी को पति रूप में प्राप्त किया तब भगवान महादेवजी ब्रह्मा, विष्णुजी, इंद्र, सूर्य, चन्द्र आदि देवों व लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री आदि देवियों और ऋषि मुनियों तथा अपने गणों सहित बारात लेकर यहां पर आए थे और माता सती से विवाह किया था। इस कारण से भी हरिद्वार की महानता बढ़ती है।

6. राजा दक्ष ने विश्व विख्यात जो यज्ञ किया था वो भी हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में ही किया था जहां राजा दक्ष का महल था।

7. गंगोत्री जहां से गंगाजी का उद्गम है उसका रास्ता भी हरिद्वार से होकर ही जाता है। गंगाजी हरिद्वार से होकर ही अन्य स्थानों पर जाती है इसीलिये इसकी महिमा माँ गंगा की कृपा से और भी बढ़ गयी है।

8. चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ तक जाने से पूर्व हरिद्वार में पूजन करना अनिवार्य है जो देव आज्ञा है शास्त्रों अथवा पुराणों में क्योंकि चारधाम तक जाने का मार्ग भी हरिद्वार से होकर ही जाता है।

9. महादेवजी की पुत्री माता मनसा जो वासुकि नागों के राजा की बहन थी उनका निवास स्थान भी हरिद्वार में ही है जो माँ मनसा देवी के नाम से विख्यात है जहां हजारोन भक्तगण प्रतिदिन माँ के दर्शन करने दूर-दूर से आते है। मन की कामना पूरी करने के कारण माँ को मनसा देवी कहा जाता है।

10. रामायणकाल में अहिरावण और महिरावण श्रीराम को जब पाताल में देवी के सामने बलि देने के लिए ले गए थे तो महादेवजी के अवतार हनुमानजी ने देवी से श्रीराम की बलि टालने का आग्रह किया था तब देवी ने हनुमानजी से कहा था – मैं इस पातालपुरी को त्यागकर शिवपुरी अर्थात हरिद्वार की पर्वत श्रृंखला पर जा रही हूं। तुम इन दोनों असुरों की बलि मुझे दो जिससे मुझे प्रसन्नता होगी और पाताल में धर्म स्थापना होगी तब जो देवी पाताल से उठकर हरिद्वार के पर्वतों पर विराजी वो माँ चंडीदेवी के नाम से विश्व विख्यात है। रामायणकाल में रावण को जीतने के बाद और अयोध्या आने के बाद श्रीराम ने सीताजी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमानजी महाराज सहित यहां आकर माता के दर्शन किये थे और माँ चंडीदेवी का आशीर्वाद लिया था।

11. माता सती ने जब दक्ष यज्ञ में अपने देह को यज्ञकुंड में जला दिया था तब महादेवजी जब उनका देह लेकर बहुत समय तक जब पृथ्वी भ्रमण करते रहे और उन्होंने संसार को भुला दिया तब विष्णुजी ने अपने कांता नामक चक्र से सती माता के शरीर को 52 भागो में विच्छेद किया था जिन में से माता सती का हृदय हरिद्वार में गिरा था और मायादेवी के नाम से विख्यात हुआ। ये मायादेवी हरिद्वार के निवासियों की कुल देवी बनी और हरिद्वार की महिमा और बढ़ गई।

12. ऋषि मुनियों अवतारों तथा देवी देवताओं की अतिप्रिय स्थली होने के कारण ही इसे देवभूमि हरिद्वार भी कहते हैं।

13. जिस पहाड़ की चोटी पर बैठकर महादेवजी ने दक्ष यज्ञ विध्वंस हेतु वीरभद्र, देवी महाकाली, भैरव, क्षेत्रपाल, नंदी, नवदुर्गा आदि सेना की कमांड की थी उन्हें नेत्तृत्व किया था वो पहाड़ की चोटी भी हरिद्वार में ही है जो नीलपर्वत के नाम से जानी जाती है।

14. हरिद्वार संसार का एक मात्र स्थान है जो भगवान महादेव, आदिशक्ति माता, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी इन चारों को अतिप्रिय है इसीलिए यहां पर पूरे वर्ष हर हरि और माँ के भक्तों का आवागमन लगा रहता है। श्रद्धालु दूर-दूर से इस दिव्य स्थान पर दर्शन हेतु आते हैं।

15. भीम ने अपने गौडे तक जल भरकर जिस स्थान पर तप किया था वो भीमगोडा कहलाया जो हरिद्वार में ही है।

और भी बहुत कुछ महिमा है हरिद्वार की जो यहां कह पाना असंभव है लेकिन हरिद्वार की महिमा अनन्त है जो सतयुग से महाभारत काल तक की अनेक कथाएं और चमत्कार से भरी हुई है।

देवशयनी एकादशी
कब है देवशयनी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि..

इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है

देवशयनी एकादशी

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। वैसे तो हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं लेकिन योगिनी एकादशी के बाद श्रद्धालुओं को देवशयनी एकादशी का इंतजार रहता है। देवशयनी एकादशी बड़ी एकादशी मानी गई है। इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है। इस दिन के बाद से जगत के पालनहार विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं, देवों का शयनकाल शुरु हो जाता है। जो चार माह बाद यानि कि कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर खत्म होता है। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है।

इस साल अधिकमास होने के कारण विष्णु जी 5 महीने तक शयनकाल में रहेंगे। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मा एकादशी भी कहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि देवशयनी एकादशी का व्रत करने से नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती और जीवन रोग, दोष मुक्त रहता है। देवशयनी एकादशी व्रत में कथा का श्रवण जरूर करें, इसके बिना व्रत व्यर्थ माना जाता है।
आषाढ़ मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून की सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 30 जून को 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से एकादशी का व्रत 29 जून को रखा जाएगा। व्रत का पारण 30 जून को किया जाएगा। वैसे तो व्रत का पारण 30 जून को स्‍नान, दान के बाद कभी भी किया जा सकता है, लेकिन पारण का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 48 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 36 मिनट तक है।

पूजा विधि
देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। इस दिन पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। साफ कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें। घर और मंदिर की साफ-सफाई करें। चौकी पर एक पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करके विधि-विधान से पूजा करें। भगवान को फल, फूल और धूप आदि अर्पित करें। पूजन के दौरान भगवान के मंत्रों का जाप करें, देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें। भगवान को पंचामृत का भोग लगाएं। एकादशी व्रत के सभी नियमों का पालन करें और अगले दिन स्‍नान और दान के बाद व्रत का पारण करें।

देवशयनी एकादशी शयन मंत्र
29 जून को देवशयनी एकादशी पर भगवान को शयन करवाते समय श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का उच्चारण करें ।
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।’
‘हे जगन्नाथ जी! आपके सो जाने पर यह सारा जगत सुप्त हो जाता है और आपके जाग जाने पर सम्पूर्ण विश्व तथा चराचर भी जागृत हो जाते हैं। प्रार्थना करने के बाद भगवान को श्वेत वस्त्रों की शय्या पर शयन करा देना चाहिए।

सीखो कमाओ योजना Sikho Kamao Yojana kya hai
Sikho Kamao Yojana

सीखो कमाओ योजना

सीखो कमाओ योजना के अंतर्गत युवाओं को प्रशिक्षण देने वाले प्रतिष्ठानों का पंजीयन 07 जून 2023 से और काम सीखने के इच्छुक युवाओं का पंजीयन 25 जून 2023 से आरंभ होगा। 15 जुलाई 2023 से युवाओं का आवेदन आरंभ होगा तथा 31 जुलाई 2023 से युवा, प्रतिष्ठान एवं मध्य प्रदेश के मध्य अनुबंध हस्ताक्षर (ऑनलाइन) की कार्यवाही होगी तथा 01 अगस्त 2023 से विभिन्न प्रतिष्ठानों में युवाओं का प्रशिक्षण प्रारंभ होगा। 1 माह प्रशिक्षण के उपरांत अर्थात् 1 सितंबर 2023 से युवाओं को राशि (स्टाइपेण्ड) का वितरण राज्य शाशन द्वारा किया जाएगा। उपरोक्त समस्त कार्यवाही योजना के पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जाएगा। यह क्रांतिकारी योजना युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखायागी।

औपचारिक शिक्षा के उपरातं बहुधा युवा औद्योगिक एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में रोजगार प्राप्त करने के लिए पर्याप्त कुशल नहीं होते। माननीय मुख्यमंत्री जी के मंशानुरुप राज्य शाशन द्वारा औपचारिक शिक्षा प्राप्त युवाओं को पंजीकृत औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में On-the-Job-Training (OJT) की सुविधा देने हेतु ”मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना” लागू की गई है, जिससे औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान युवाओं को प्रशिक्षित करने तथा युवा ऐसा प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित हों।

योजना के तहत प्रतिवर्ष 1 लाख युवाओं को लाभ मिलेगा, आवश्यकतानुसार लक्ष्य बढ़ाया जा सकता हैं। प्रत्येक युवा को राज्य शाशन द्वारा ₹1 लाख तक का स्टाइपेंड भी प्रदान किया जाएगा।

1. युवाओं की पात्रता :

योजना के तहत ऐसे युवा पात्र होंगे,

  • जिनकी आयु 18 से 29 वर्ष तक हो |
  • जो मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी हों |
  • जिनकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं/आईटीआई उत्तीर्ण या उससे उच्च हो।

योजना के तहत चयनित युवा को “छात्र-प्रशिक्षणार्थी” कहा जाएगा।

2. युवाओं को स्टाइपेण्ड:

  • मध्यप्रदेश के युवाओं को प्रशिक्षण के साथ साथ प्रतिमाह स्टाइपेण्ड प्राप्त होगा।
  • 12वीं उत्तीर्ण को रु. 8000, आईटीआई उत्तीर्ण को रु. 8500, डिप्लोमा उत्तीर्ण को रु. 9000 एवं स्नातक उत्तीर्ण या उच्चशैक्षणिक योग्यता को रु. 10000 स्टाइपेण्ड प्राप्त होगा।
  • स्टाइपेण्ड, कोर्ष के लिए निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ता के आधार पर निर्धारित किया गया है।

3. युवाओं को लाभ:

  • उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण।
  • नवीनतम तकनीक और नवीनतम प्रकिया के माध्यम से प्रशिक्षण।
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान स्टाइपेण्ड।
  • मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड (MPSSDEGB) द्वारा State Council for Vocational Training (SCVT) का प्रमाणन।
  • नियमित रोज़गार प्राप्त करने की योग्यता अर्जित करना।

मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना (MMSKY), मध्यप्रदेश शासन की उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण योजना है, जिसके माध्यम से व्यापक स्तर पर औपचारिक शिक्षा प्राप्त युवाओं को पोर्टल पर पंजीकृत प्रतिष्ठानों में छात्र-प्रशिक्षणार्थी के रूप में On-the-Job-Training (OJT) की सुविधा दी जाएगी।

पंजीयन योजना के पोर्टल https://mmsky.mp.gov.in/ पर कर सकते है।

पोर्टल पर पंजीयन नि:शुल्क है। सीएससी (CSC) अथवा एमपी ऑनलाइन (MP Online) के माध्यम से पंजीयन करने पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा निर्धारित सेवा शुल्क देय होगा।

पंजीयन उपरान्त लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड SMS एवं E-mail द्वारा प्राप्त होगा|

पंजीयन के समय किसी समस्या/संशय समाधान हेतु पोर्टल पर दिए हेल्प डेस्क पर संपर्क किया जा सकता है।

देश/प्रदेश के ऐसे औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान, जिनके पास PAN और GST पंजीयन है। समस्‍त प्रकार के निजी प्रतिष्ठान यथा- प्रोपराइटरशिप, एचयूएफ, कंपनी, पार्टनरशिप, ट्रस्ट, समिति, आदि योजना अंतर्गत पात्र होंगे।

पोर्टल पर प्रतिष्ठान पंजीयन करते समय निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता होगी-

i. प्रतिष्ठान का GSTIN,

ii. प्रतिष्ठान का EPFO (यदि कार्यबल 20 या 20 से अधिक हो तो)

प्रतिष्ठान अपने कुल कार्यबल, जिसमें नियमित व संविदात्मक कर्मचारी शामिल होंगे, का 15% की संख्या तक छात्र-प्रशिक्षणार्थियों को संलग्न कर सकते है।

प्रतिष्ठान के कुल कार्यबल की गणन नियमित एवं संविदात्मक कर्मचारी को शामिल करके की जाएगी।

हाँ, अन्य प्रदेश/केंद्र शासित प्रदेश में स्थित निजी प्रतिष्ठान योजना हेतु पात्र है।

 कोर्स की प्रशिक्षण अवधि 6 एवं 9 माह एवं 1 वर्ष है

योजना के तहत चयनित युवा को “छात्र-प्रशिक्षणार्थी” कहा जाएगा।

पंजीयन हेतु छात्र-प्रशिक्षणार्थी की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं अथवा आई॰टी॰आई॰ उत्तीर्ण है।

पंजीयन हेतु छात्र-प्रशिक्षणार्थी की आयु सीमा 18 से 29 वर्ष है एवं आयु की गणना 01 जुलाई 2023 से की जाएगी।

योजना का लाभ लेने के लिए छात्र-प्रशिक्षणार्थी को मध्यप्रदेश का स्थानीय निवासी होना अनिवार्य है

छात्र-प्रशिक्षणार्थी को प्रशिक्षण के दौरान रु 8000 से 10000 तक स्टाइपेण्ड प्राप्त होगा।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा छात्र-प्रशिक्षणार्थी को कोर्स की योग्यता अनुसार निर्धारित स्टाइपेण्ड का 75 प्रतिशत Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से भुगतान किया जायेगा।

प्रतिष्ठान द्वारा छात्र-प्रशिक्षणार्थी को कोर्स की योग्यता अनुसार निर्धारित स्टाइपेण्ड का न्यूनतम 25 प्रतिशत भुगतान किया जायेगा।

हाँ, प्रतिष्ठान छात्र-प्रशिक्षणार्थी को स्टाइपेण्ड के 25% राशि से अधिक राशि का भुगतान कर सकते है।

हाँ, प्रतिष्ठान प्रशिक्षण उपरान्त छात्र-प्रशिक्षणार्थी को नियमित रोजगार दे सकते है।

नहीं, प्रतिष्ठान प्रशिक्षण उपरान्त छात्र-प्रशिक्षणार्थी को नियमित रोजगार देने हेतु बाध्य नहीं है।

नहीं, प्रतिष्ठान द्वारा छात्र-प्रशिक्षणार्थी को On-the-Job-Training (OJT) के दौरान आवास एवं भोजन की सुविधा प्रदान करना अनिवार्य नहीं है। प्रतिष्ठान अपनी स्वेच्छा से छात्र-प्रशिक्षणार्थी को आवास, भोजन एवं अन्य सुविधाएँ दे सकते है।

क्या छात्र-प्रशिक्षणार्थी अप्रेन्टिसशिप ट्रेनिंग (NAPS) के साथ-साथ मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना (MMSKY) मे On-the-Job-Training (OJT) कर सकते है?

नहीं, छात्र-प्रशिक्षणार्थी अप्रेन्टिसशिप ट्रेनिंग (NAPS) के साथ-साथ मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना (MMSKY) मे On-the-Job-Training (OJT) नहीं कर सकते है।

हाँ, सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण होने एवं निर्धारित मूल्यांकन उपरान्त मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड (MPSSDEGB) द्वारा State Council for Vocational Training (SCVT) का प्रमाण-पत्र प्रदाय किया जाएगा।

संगीत सम्राट तानसेन
संगीत सम्राट तानसेन की जन्म स्थली बेहट ग्वालियर अब होगा तानसेन नगर, सीएम ने की घोषणा
संगीत सम्राट तानसेन की जन्म स्थली बेहट

संगीत सम्राट तानसेन की जन्म स्थली बेहट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 101 करोड़ की लागत के विकास कार्यों का भूमि-पूजन और लोकार्पण किया। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने महाविद्यालय खोलने के साथ बेहट का नाम तानसेन नगर करने की घोषणा की। बेहट क्षेत्र स्थित अंजनी माता मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये एक करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराने और चंदीला डैम का जीर्णोद्धार तकनीकी परीक्षण के आधार पर कराने की घोषणा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की। दंदरौआ धाम पर विकास कार्यों का भूमिपूजन ग्वालियर चंबल अंचल में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भिंड के दंदरौआधाम भी पहुंचे। जहां डा. हनुमान की पूजा अर्चना के बाद वहां 69.28 लाख की लागत से बनने वाली नक्षत्र वाटिका, सामुदायिक भवन, पानी का टैंक समेत अन्य विकास कार्याें का भूमि पूजन किया।

भारतीय संगीत का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व व्यापक है और इसके आदि-मध्य-अंत में कई महान संगीतकारों ने इस कला को प्रगाया है। इनमें से एक महान संगीतकार तानसेन हैं, जिन्होंने अपने स्वर की शानदारता और संगीतीय ज्ञान के लिए प्रशंसा प्राप्त की है। और यहां पर उनका जन्म हुआ था, वह स्थान बेहट ग्राम है।

बेहट ग्राम, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है और यह तानसेन की जन्मस्थानी के रूप में प्रसिद्ध है। यह ग्राम प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है और उन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जो संगीत और तानसेन के प्रति आदर रखते हैं।

बेहट ग्राम के आस-पास के क्षेत्र में एक मंदिर स्थित है, जिसे तानसेन के जन्मस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहां उनकी स्मृति को आदर्शवादी रूप से संबोधित किया जाता है और यहां के श्रद्धालु उनके प्रतिमा की पूजा करते हैं। यह मंदिर एक आध्यात्मिक स्थल है, जहां लोग तानसेन की संगीतिकता और उनके योगदान के प्रति श्रद्धा के साथ उनकी पूजा और भक्ति करते हैं।

तानसेन का जीवन संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सादी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने उत्कृष्ट संगीतीय कौशल के माध्यम से भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी मधुर आवाज, राग-रंग की विस्तृतता और संगीत की रमणीयता के लिए उन्हें “संगीत सम्राट” के रूप में जाना जाता है।

बेहट ग्राम में तानसेन के जन्मस्थान के पास एक संग्रहालय भी स्थित है। यह संग्रहालय तानसेन के जीवन, उनके संगीत, उनकी संगीतिक यात्रा और उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यहां आप पुरातात्विक वाद्ययंत्रों, संगीतीय साधनों, एंटिक शोध प्रदर्शन और तानसेन संबंधी अन्य आइटम देख सकते हैं।

बेहट ग्राम एक ऐसा स्थान है जहां संगीत प्रेमी और पर्यटक तानसेन के संगीतिक उत्सव का आनंद ले सकते हैं। इस छोटे ग्राम की प्राकृतिक सुंदरता, तानसेन के महत्वपूर्ण स्थलों का आदर्शवादी महसूस करने का अवसर प्रदान करती है। यह एक दर्शनीय स्थल है जहां आप संगीत के महान सम्राट तानसेन के गर्व में खुद को समर्पित कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना अंतर्गत मैं हूं मध्यप्रदेश की लाड़ली बहना (सेल्फी कॉन्टेस्ट)
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना

मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना

 

राज्य शासन महिलाओं के सशक्तिकरण और सभी क्षेत्रों में उन्हें बराबरी के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा “मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना” प्रारंभ की गई। योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर उन्हें सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाना है।

10 जून से मिलेगा योजना का लाभ

योजनांतर्गत पात्र बहनों को प्रतिमाह रु.1000 और वार्षिक रु. 12000 की राशि उनके बैंक खातों में राज्य सरकार द्वारा जमा कराई जाएगी। योजना में प्रदेश की 1 करोड़ 25 लाख से अधिक बहनों द्वारा पंजीकरण कराया गया है। 10 जून 2023 से सभी पात्र बहनों के खाते में एक-एक हजार रूपये अंतरित किये जाएंगे। बहनों को यह राशि प्रतिमाह प्रदान की जाएगी।

मैं हूं लाड़ली बहना – सेल्फी कॉन्टेस्ट में भाग लें और जीतें आकर्षक पुरस्कार

सभी पात्र बहनें योजना के संबंध में अपनी प्रसन्नता और अभिव्यक्ति साझा कर सकें इस उद्देश्य से मैं हूं लाड़ली बहना – सेल्फी कॉन्टेस्ट का आयोजन mp.mygov.in पोर्टल पर किया जा रहा है। इस कॉन्टेस्ट के माध्यम से बहनें अपनी सेल्फी और संदेश माननीय मुख्यमंत्री जी तक पहुंचा सकती हैं। कॉन्टेस्ट में भाग लेने के लिए बहनों को अपनी सेल्फी और संदेश 08 जून से 20 जून 2023 तक साझा करनी होगी।

प्रतियोगिता में ऐसे हों शामिल

प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रतिभागियों को mp.mygov.in पोर्टल पर अपनी सेल्फी अपलोड करनी होगी। सेल्फी अपलोड करने के लिए प्रतिभागी –

• सेल्फी पाइन्ट पर दिये गये क्यूआर कोड सीधे मोबाईल से स्केन कर अपना रजिस्ट्रेशन कराते हुए अपनी सेल्फी अपलोड कर सकेंगे।

• प्रतिभागी सीधे mp.mygov.in पोर्टल पर भी जाकर प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें निम्न स्टेप फॉलो करने होंगे-
स्टेप- 1
प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए mp.mygov.in पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन करें ।
स्टेप – 2
पोर्टल के होम पेज पर उपलब्ध लाड़ली बहना सेल्फी कॉन्टेस्ट के बैनर पर क्लिक करें।
स्टेप – 3
सेल्फी कॉन्टेस्ट प्रतियोगिता का पेज खुलेगा जिस पर उपलब्ध आवश्यक जानकारी, नियम एवं शर्ते सावधानी पूर्वक पढ़ें ।
स्टेप – 4
इसी पेज पर नीचे दिए बॉक्स में इमेज फाइल (सेल्फी) अपलोड कर अपनी सामान्य जानकारी (नाम, पूरा पता पिनकोड सहित) लिखते हुए संदेश लिखें।
स्टेप- 5
अपनी प्रविष्टि को सुनिश्चित करने के लिए सेव बटन पर क्लिक करें।

पुरस्कार

सर्वश्रेष्ठ सेल्फी एवं संदेश के आधार पर प्रदेश के प्रत्येक जिले से 3 बहनों को विजेता के रूप में चयनित किया जाएगा। विजेताओं को जनसम्पर्क संचालनालय मध्यप्रदेश शासन द्वारा आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

प्रथम पुरस्कार- रु. 3000
द्वितीय पुरस्कार- रु. 2000
तृतीय पुरस्कार – रु. 1000

प्रविष्टियां जमा करने के लिए सेल्फी एवं संदेश के साथ कृपया mp.mygov.in में निम्न लिखित जानकारी प्रदान करें। (दी गई जानकारी गलत होने पर प्रविष्टियां निरस्त कर दी जाएंगी)
1. पूरा नाम –
2. पूरा पता (गाँव/शहर का नाम एवं जिला पिन कोड सहित) –
3. मोबाइल नंबर –

प्रतियोगिता की प्रारंभ तिथि – 08 जून 2023
प्रतियोगिता की अंतिम तिथि- 20 जून 2023

प्रतियोगिता के नियम एवं शर्तें:

• कृपया अपनी सेल्फी प्रविष्टि को jpeg/png/pdf फॉर्मेट में अपलोड करें एवं संदेश को टेक्स्ट बॉक्स में लिखें।
• प्रविष्टि के साथ अपनी जानकारी प्रतिभागी का नाम, पूरा पता, (गाँव/शहर का नाम एवं जिला पिन कोड सहित) और अपना मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करना होगा।
• चयन हेतु एक प्रतिभागी द्वारा केवल एक प्रविष्टि ही स्वीकार की जाएँगी।
• प्रविष्टियों का चयन विशेषज्ञ पैनल द्वारा किया जायेगा एवं अंतिम निर्णय पैनल का ही मान्य होगा।
• प्रविष्टियां (सेल्फी एवं संदेश) विषय से संबंधित होना चाहिए। सेल्फी वास्तविक होना अनिवार्य है, फोटोशॉप या अन्य किसी भी सॉफ्टवेयर से तैयार की गई सेल्फी की प्रतियोगिता में भागीदारी समाप्त मानी जावेगी।
• भेजे गए संदेश में किसी भी तरह की अनुचित एवं आपत्तिजनक शब्दावली प्रयोग करने की स्थिति में भी प्रविष्टि रद्द कर दी जावेगी।
• पुरस्कृत एवं प्राप्त प्रविष्टियों को जनसम्पर्क संचालनालय म.प्र.शासन किसी भी रूप में उपयोग करने हेतु स्वतंत्र होगा।
• प्रचारक लिंक वाली प्रविष्टियां को रद्द कर दिया जाएगा।

प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागी यह सुनिश्चित करें कि:
a) उन्होंने प्रवेश की सभी शर्तों का अनुपालन किया है।
b) उनकी प्रविष्टियां मौलिक हैं।
c) उनकी प्रविष्टियां किसी भी तीसरे पक्ष की बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती है।

आप अपनी सेल्फी jpg, jpeg, एवं png. फार्मेट में नीचे कमेंट में अपलोड कर अपना संदेश टेक्स्ट बॉक्स में सबमिट कर सकते हैं।

Ladli Behna DBT Bank Status Check ! लाड़ली बहना योजना आधार डीबीटी बैंक चेक करे

आधार, भारतीय सरकार द्वारा प्रमाणित बायोमेट्रिक आधारित व्यक्तिगत पहचान प्रमाणपत्र है जिसे भारतीय नागरिकों और निवासियों को जारी किया जाता है। यह पहचान प्रमाणपत्र अब देश के विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता साबित हो रहा है, और विशेष रूप से बैंकिंग सेक्टर में आधार के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, “बैंक आधार सीडिंग” अभियान को शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य बैंक खाताधारकों के आधार नंबर को उनके खातों से जोड़ना है।

आधार सीडिंग का महत्व विशेष रूप से आर्थिक संचार, आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था, सरकारी योजनाओं और वित्तीय सेवाओं के लिए होने वाली लाभार्थिता के संबंध में है। जब आपका आधार खाते से जुड़ा होता है, तो आपके बैंक खाते में सरकारी योजनाएं, जैसे कि दीर्घकालिक बचत योजना (पीएफ), किसानों के लिए कृषि ऋण, नगरीय नौकरी की योजनाएं और अन्य वित्तीय सुविधाएं, सीधे क्रेडिट और अनुदान की सुविधा का उपयोग करने में सहायता मिलती है।

बैंक आधार सीडिंग के लिए आपको अपने आधार कार्ड के साथ बैंक शाखा में जाना होता है और अपना आधार नंबर खाते से लिंक करवाना होता है। यह सुरक्षित तरीके से होता है ताकि आपकी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रहे। आपके आधार नंबर को बैंक खाते से जोड़ने के लिए, आपको आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपने नजदीकी बैंक शाखा में जाना होगा और संबंधित फॉर्म को भरना होगा। आपके द्वारा दिए गए आधार नंबर को वैधानिक रूप से आपके खाते से जोड़ा जाता है और इसके बाद आप अग्रिम वित्तीय सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं।

बैंक आधार सीडिंग का उद्देश्य बैंक खाताधारकों के लिए सरलता और सुविधा उपलब्ध कराना है। इसके माध्यम से आपके खाते में सीधे अनुदान जमा किये जा सकते हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। इसके साथ ही, बैंक आधार सीडिंग के माध्यम से बैंकिंग सेवाएं और अनुदान का उपयोग करने में बढ़ी सुरक्षा और भरोसा भी होता है।

इस अभियान के माध्यम से आधार सीडिंग की दिशा में कदम उठाने से लोगों को कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में आसानी होती है और वित्तीय सेवाओं का उपयोग करने में कोई तकलीफ नहीं होती है। इसके साथ ही, बैंकों को भी लाभ होता है, क्योंकि आधार सीडिंग उनके ग्राहकों के साथ सीधे संबंध स्थापित करने में मदद करती है और उन्हें विभिन्न वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने में सहायता करती है।

बैंक आधार सीडिंग एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित और प्रभावी बनाने में मदद करता है। यह उपाय आपको अधिक सुविधाएं प्रदान करता है और वित्तीय सेवाओं का उपयोग करने में आपको आसानी प्रदान करता है।

Check Aadhaar Bank Seeding Status

यदि आपने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का आवेदन किया और आप पता करना चाहते है की आपके बैंक में आधार लिंक है या नहीं और DBT एक्टिवेट है या नहीं तो आप दिए गए लिंक से आधार कार्ड और otp के मध्य से आधार कार्ड की आधिकारिक वेबसाइट से ये जानकारी हासिल कर सकते है

बैंक खाते में आधार लिंक होने और DBT होने में अंतर है , आधार लिंक होने KYC प्रक्रिया का एक भाग है जिसमे ग्राहक की जानकारी होती है , पर ये जरुरी नहीं की आधार लिंक के साथ आधार DBT भी एक्टिवेट हो , अगर आपका बैंक में आधार लिंक है और DBT एक्टिवेट नहीं है तो आपको बैंक शाखा में जाना होगा और DBT सक्रीय करना होगा

Check Aadhaar Bank Seeding Status